Vijaya Ekadashi 2019: लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान राम ने किया था यह व्रत

हिंदू परंपरा में एकादशी के व्रत का बहुत महत्व है। एकादशी को पुण्य कार्य और भक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पुराण में बताया गया है कि फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह एकादशी 2 मार्च दिन शनिवार को है। नाम से पता चलता है कि जो भी सच्चे मन से भगवान विष्णु का व्रत करता है, उसको सदा ही विजय मिलती है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त करने से पहले विजया एकादशी का व्रत किया था।

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एकादशी का महत्व
पद्मपुराण के अनुसार विजया एकादशी के व्रत से धन-धान्य का लाभ और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कठिन तपस्या से आप जितना फल प्राप्त कर सकते हैं, उतना ही पुण्यफल आप विजया एकदाशी का व्रत करने से कर सकते हैं। व्रतधारी को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।

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एकादशी व्रत पूजन विधि
नारदपुराण के अनुसार, व्रतधारी ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद घट स्थापना करें और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर पर गंगाजल के साथ रोली और चावल छींटे दें और भोग लगाएं। श्रीहरि के साथ माता लक्ष्मी की भी घी के दीपक से आरती उतारें और फिर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। विजया एकादशी के दिन व्रतधारी पूरे दिन मन ही मन भगवान का ध्यान करें और शाम में आरती के बाद फलाहार कर सकते हैं। अगले दिन सुबह भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करके ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा देकर फिर स्वयं व्रत का परायण करें।

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एकादशी व्रत कथा
पद्म पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि विजया एकादशी व्रत को स्वयं भगवान श्रीराम ने भी किया था। श्रीकृष्ण बताते हैं कि हे युधिष्ठिर नारद मुनि ने जब ब्रह्माजी से विजया एकादशी के महत्व के बारे में पूछा तो ब्रह्माजी ने बताया था कि, इस व्रत के पुण्य से राजाओं को विजयश्री की प्राप्ति होती है।

आज के दौर में देखा जाए तो यह व्रत व्यक्ति को जीवन की उलझनों, शत्रुओं और लोक-परलोक के भय से मुक्ति दिलाने वाला है। इस व्रत के करने से वैकुंठ धाम की प्राप्ती होती है। ब्रह्माजी ने नारद मुनि से कहा था कि रावण से युद्ध करने जब श्रीराम समुद्रतट पर पहुंचे तो अथाह समुद्र को देखकर चिंतित हो गए। तब लक्ष्मणजी के भगवान राम को बकदाल्भ्य ऋषि के पास जाने के लिए कहा था। ऋषि की सलाह पर रामजी न अपनी सेना समेत विजया एकादशी का व्रत विधि पूर्वक किया जिससे सागर पार करके रावण पर विजय पाने में सफल हुए थे।