Shringar Of Mahakal उज्‍जैन में दूल्‍हा बनेंगे महाकाल होगा मेंहदी और हल्‍दी की रस्‍मों का आयोजन

महाकाल की नगर उज्‍जैन में 21 फरवरी यानी कि सोमवार से शिव-पार्वती के विवाह उत्‍सव का आयोजन हो गया है। इस पूरे आयोजन को शिव नवरात्र कहा जाता है। यहां शिव विवाह को शिव नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और हर दिन विवाह की अलग-अलग रस्‍में निभाई जाती हैं। कोटितीर्थ कुंड के पास स्थित महाकाल के मंदिर में शिवजी को पुजारी हल्‍दी लगाते हैं और मां पार्वती को मेंहदी चढ़ाई जाती है।

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फाल्‍गुन मास के कृष्‍ण पक्ष की पंचमी यानी 21 फरवरी सोमवार से शिव नवरात्रि का आरंभ हुआ और भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति को हल्‍दी लगाई गई। अब 9 दिन तक चलने वाले इस विवाहोत्‍सव में शिवजी को चंदन लगाया जाएगा और विवाह की रस्में पूरी होंगी। चंद्रमौलेश्‍वर, कोटेश्‍वर और भगवान रामेश्‍वर के पूजन के बाद गर्भगृह में अनुष्‍ठान होगा। इस पूजन परंपराओं के बीच भगवान महाकाल बाबा को चंदन और शक्ति स्‍वरूपा जलाधारी पर हल्‍दी अर्पित की जाएगी।

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इन 9 दिनों में बाबा महाकाल के अलग-अलग रूपों के भक्‍तों को दर्शन करने को मिलेंगे। कालों के काल महाकाल विभिन्‍न मनमोहक रूपों में सुशोभित होंगे। सबसे आखिर में 1 मार्च 2022 को महाशिवरात्रि के दिन इस विवाहेत्‍सव का समापन हो जाएगा।

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इन 9 दिनों में बाबा महाकाल को कई अलग-अलग रूपों में सजाया जाएगा। शिवपुराण में बताया गया है कि भगवान शिव चाहते थे कि माता पार्वती के साथ उनका विवाह किसी तरह से टल जाए और इसको टालने के लिए कभी उन्‍होंने बहरूपिया का वेश भी बनाया था। इसी को ध्‍यान में रखते हुए बाबा महाकाल का श्रृंगार एक दिन बहरूपिए के रूप में भी किया जाएगा। इतना ही नहीं भक्तजनों को महाकाल का अर्द्धनारीश्‍वर रूप भी इस दौरान देखने को मिलेगा। कहते हैं कि ब्रह्माजी के विनती करने पर भगवान शिव ने स्‍वयं को अर्द्धनारीश्‍वर रूप में प्रकट किया था और सृष्टि के विकास का मार्ग बताया था।