Sawan2019: यह है सावन महीने का महत्व, इसलिए माना गया है शिव को आत्मिक ऊर्जा

सद्गुरु स्वामी आनंदजी
श्रावण हिंदू कैलेंडर का पंचम माह है, जिसे वर्ष के सर्वाधिक पवित्र मास में शुमार किया जाता है। वर्षा ऋतु का यह महीना तामसी शक्ति का दमन कर सतोगुण से ऐश्वर्य प्राप्ति की बेला है, जिसे भारत में भिन्न-भिन्न नाम से जाना जाता है। यह महीना सुरत की ऊर्जा यानी आत्मिक शक्ति के विस्तार के बोध व खुद में बैठे खुदा को जानने का काल है। हिंदू दर्शन में शिव को आत्मिक ऊर्जा माना गया है, अतएव आध्यात्मिक मान्यताएं इस महीने को शिव आराधना को समर्पित करती हैं।

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अंश होकर भी है स्वयं प्रभु तुल्य
कुछ आध्यात्मिक अवधारणाएं शिव, शंकर और शंभु को एक नहीं वरण ऊर्जा के तीन भिन्न-भिन्न सोपान के रूप में देखती हैं। भारतीय दर्शन सुरत अर्थात आत्मा को बड़ी शक्ति के रूप में देखता है, जो प्रभु का अंश होकर स्वयं प्रभु तुल्य है। स्वयं का बोध न हो पाने से आत्मा अपने आप को असहाय और निर्बल समझने की निरंतर भूल करती रहती है, जिस प्रकार एक बधिर व्यक्ति बोलने की क्षमताओं के बाद भी स्वयं को मूक समझता है।

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मन पर काबू पाना है जरूरी
श्रावण/श्रवण का एक शाब्दिक अर्थ सुनना भी है। आत्मा शब्द स्वरूप है। लिहाजा अपने अंतर्मन में उमड़-घुमड़ रहे शब्दों का श्रवण का प्रयास अपने आपको जानने के लिए अनिवार्य शर्त है। इसलिए श्रावण का महीना अपने अंतर्मन के नाद की शबनमी बूंदों में भींगने भिंगाने का काल कहा गया है। आत्म जागरण के लिए मन पर काबू पाना जरूरी है। सोमवार को मन के मालिक चंद्रमा का दिन है, इसीलिए श्रावण माह में सोमवार के दिन उपासना को बेहद प्रभावी और कारगर माना जाता है।

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श्रावण मास में होंगे चार सोमवार
आध्यात्मिक मान्यताएं मन के स्वामी चंद्रमा को आत्मिक शक्ति शिव के शीर्ष पर विराज कर संदेश देती है कि यदि स्वयं और अपनी भावनाओं पर नियंत्रण कर लिया जाए तो मनुष्य निर्बलता से उठ कर सबलता के आकाश में पंख पसार सकता है। कर्मकांडिय पद्धति तो स्वयं के बोध का प्रतीक मात्र है। इस बार के श्रावण मास में चार सोमवार होंगे। 22 जुलाई को सावन का प्रथम सोमवार है। 29 जुलाई को द्वितीय, 5 अगस्त को तृतीय और 12 अगस्त को श्रावण मास का चतुर्थ सोमवार है।