जमुई का गौरव बढ़ाता बाबा पंचवटी पत्नेश्वर नाथ मंदिर
उत्तर में आंजन नदी तथा दक्षिण में खैरमा गांव जो पूर्व में खरदूसन तीन का अखाड़ा कहा जाता था, स्थित है।यह मंदिर जमीन से लगभग 90 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर परिसर में भगवान शिव पार्वती के मंदिर के अलावा मां दुर्गा,भगवान श्रीराम, बजरंगबली और काल भैरव मंदिर हैं। इस मंदिर परिसर में बहुत पूर्व खुदाई में मिले हुए कई छोटे-छोटे शिवलिंग भी रखे हुए हैं,जिनकी लोगों के द्वारा पूजा की जाती है। प्रकृति ने पत्नेश्वर मंदिर के आसपास का वातावरण अत्यंत मनोरम बनाया है। पहाड़ों और जंगलों से घिरा यह स्थान पर्यटकों को सहसा अपनी ओर आकृष्ट करता है। कलकल बहती नदी इस शांत वातावरण में जनमानस के बीच एक अजीब सी चेतना पैदा करती है। पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण इस स्थान को अगर समयक रूप से सौंदर्यीकरण करा दिया जाए, तो यह स्थान आने वाले समय में जमुई के गौरव के रूप में याद किया जाएगा।
470 वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में था घना जंगल
आज से लगभग 470 वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में काफी घना जंगल था और आसपास के लोग यहां लकड़ियां चुनने के लिए आया करते थे। लकड़ियां चुनने के दौरान एक चरवाहे को पत्तों के ढेर के बीच में प्रकाश पुंज दिखाई पड़ा। उत्सुकता वश जब उसने पत्तों को हटाया, तो उसे काले पत्थर के रूप में शिवलिंग की आकृति नजर आई। उसने इसकी सूचना आसपास के ग्रामीणों को दी।लोगों ने वहां पहुंचकर खुदाई आरंभ की, कितनी भी खुदाई की गई किंतु शिवलिंग स्थिर रहे। इसके पश्चात भगवान शिव ने एक व्यक्ति को मंदिर निर्माण कराने हेतु स्वप्न दिया। मंदिर बनवाने के बाद वह व्यक्ति बची हुई सारी राशि को खा गया। जिससे उसका पूरा परिवार नष्ट हो गया। इस मंदिर के निर्माण के समय बहुत सारी मूर्तियां निकली जो आज भी विद्यमान है।
सावन और भादो के महीने में लगती है काफी भीड़
प्रत्येक वर्ष सावऔर भादो मास में करीब एक से डेढ़ लाख लोगों के द्वारा यहां जलाभिषेक किया जाता है और प्रत्येक पूर्णमासी को यहां मेला भी लगता है।प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर यहां भव्य मेला लगता है और पारंपरिक कुश्ती प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है ।प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी के दिन यहां भव्य तरीके से भगवान शिव का तिलकोत्सव भी किया जाता है और शिवरात्रि के दिन भव्य तरीके से शिव-विवाह भी किया जाता है, जिसमें लाखों लोग जुटते हैं। फिलहाल ,यह मंदिर अपनी पौराणिक और सांस्कृतिक मान्यता समेटे हुए किसी उद्धारक की प्रतीक्षा कर रहा है।