प्यार जब किसी को होता है तो फिर दिल पर काबू कहां रह जाता है। फिर तो जो समझ में आता है वही सही लगने लग जाता है। कहते भी हैं कि प्यार और जंग में सब जायज होता है। और कई बार तो प्यार की खातिर जंग भी हो जाता है। जैसा कि इस प्रेम कहानी में हुआ है। सपने में हुआ प्यार और फिर उठवा लिया प्रेमी को ही घर से। इसके बाद जो कुछ हुआ आइए जानें विस्तार से उषा की प्रेम कहानी…
जानिए उषा और अनिरुद्ध की प्रेम कहानी
सूर सागर की इस कहानी में एक ऐसी प्रेमिका का जिक्र हुआ है, जिसका नाम इतिहास में प्रसिद्ध है। इस कन्या का नाम इतिहास में इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि संसार में पहली बार किसी लड़की ने अपने प्यार को पाने के लिए प्रेमी को उसके ही घर से उठवा लिया था। उषा नाम की यह कन्या शोणितपुर के राजा बाणासुर की पुत्री थी।
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सपने में देखा अनिरुद्ध को
एक रात उषा ने सपने में साक्षात कामदेव के रूप में भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध को देखा। सपने में ही अनिरुद्ध की छवि को देखकर वह इस तरह दीवानी हुई की उसे पाने के लिए बेचैन हो उठीं। उषा की एक सहेली थी जिसका नाम चित्रलेखा था। यह माया और जादुई शक्तियों को अच्छी तरह से जानती थी। चित्रलेखा ने उस समय के सभी राजकुमारों की तस्वीर बनाकर उषा को दिखाई। इन चित्रों में से उषा ने अनिरुद्ध को पहचान लिया।
चित्रलेखा ने बनाई योजना
चित्रलेखा ने उषा को आश्वासन दिया कि वह अनिरुद्ध से उसे मिलवाकर रहेगी। एक रात जब अनिरुद्ध सो रहे थे तो चित्रलेखा माया से अनिरुद्ध के कमरे में पहुंच गई। सोते हुए ही अनिरुद्ध को वह उठाकर उषा के पास ले आई। अगले दिन जब अनिरुद्ध की आंख खुली तो उन्होंने देखा कि सामने अत्यंत सुंदर राजकुमारी है और वह अपने कमरे में नहीं हैं। तब उषा ने अनिरुद्ध को बताया कि वह शोणितपुर में हैं और उनकी सखी चित्रलेखा उन्हें द्वारका से सोते हुए उठा लायी है।
उषा अनिरुद्ध के बीच शुरू हुई प्रेम कहानी
इसके बाद उषा ने अनिरुद्ध को बताया कि वह सपने में उन्हें देखकर उनसे प्रेम कर बैठी हैं और उन्हें अपना पति मान लिया है। अनिरुद्ध भी उषा के प्रेम को अस्वीकार नहीं कर पाए और दोनों प्रेमी सभी से छुपकर चार महीने तक एक साथ एक कमरे में रहने लगे। इसके बाद बाणासुर को इस बात की भनक लग गई और अनिरुद्ध को बंदी बना लिया गया।
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उषा और अनिरुद्ध का हुआ विवाह
इधर अनिरुद्ध की तलाश में लगे श्रीकृष्ण को भी सभी बातों की जानकारी मिल गई। भगवान श्रीकृष्ण ने बाणासुर को पराजित करके अनिरुद्ध को मुक्त करवाया और फिर वाणासुर ने उषा और अनिरुद्ध का खुशी-खुशी विवाह करवा दिया। संसार में प्रेमिका द्वारा प्रेमी को पाने के लिए हरण किए जाने की यह एक अनोखी कहानी है।