हिन्दू धर्म में ज्योतिर्लिंगों का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। भगवान भोलेनाथ को समर्पित भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिंग है और इन्हीं ज्योतिर्लिंग में से एक है, उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर। मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में बसा यह मंदिर रुद्र सागर झील के तट पर स्थित है और सभी शिव भक्तों के हृदय में एक विशेष स्थान रखता है। हिन्दुओं के पवित्र और लोकप्रिय मंदिरों में से एक महाकालेश्वर का यह मंदिर भस्म आरती के लिए सबसे अधिक जाना जाता है। इस मंदिर में दक्षिण की ओर मुख किए शिवलिंग की पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है की, मंदिर में आरती के साथ भगवान शिव का श्रृंगार भी मुर्दे की भस्म से किया जाता है, जिसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी काफी संख्या में पर्यटक आते है।
महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास | History Of Mahakaleshwar Temple
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर की बहुत प्राचीन मान्यता बताई जाती है। इस मंदिर का उल्लेख छठी शताब्दी से मिलता आ रहा है। इसके साथ ही 14वीं और 15वीं के बहुत से ग्रंथों में भी महाकाल का वर्णन किया गया है। बताया जाता है की, 18वीं शताब्दी के समय मराठा शासकों ने मालवा पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया था। जिसके बाद महान मराठा शाशक पेशवा बाजीराव प्रथम ने उज्जैन का प्रशासन अपने विश्वसनीय सरदार राणोजी शिंदे को सौंप दिया था। ग्रंथो के अनुसार ऐसा माना जाता है की राणोजी शिंदे के दीवान के रूप में कार्य कर रहे सुखटंकर रामचंद्र बाबा शैणवी ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।
माना जाता है की आज जिस महाकालेश्वर मंदिर को हम देखते है, उसका निर्माण राणोजी शिंदे ने ही करवाया है। इस मंदिर का निर्माण कुछ इस प्रकार करवाया गया है- मंदिर के सबसे निचले भाग में तो महाकाल ज्योतिर्लिंग प्रतिष्ठित किये गए है, मध्य भाग में ओंकारेश्वर शिवलिंग, वहीं सबसे ऊपरी भाग पर नागचंद्रेश्वर मंदिर है, जो केवल नागपंचमी के दिन खुलता है। उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर का यह मंदिर मराठा, भूमिज और चालुक्य शैलियों का अद्भूत समावेश है।
महाकालेश्वर मंदिर की वास्तुकला | Architecture Of Mahakaleshwar Temple
- महाकालेश्वर मंदिर के निचले भाग में स्थित गर्भगृह की छत को चांदी की परत से ढका गया है।
- मंदिर के बरामदे में भगवान गणेश, कार्तिकेय और माता पार्वती के छोटे-छोटे चित्र देखने को मिलते है।
- इस मंदिर परिसर में एक विशाल कुंड भी स्थित है। इस कुंड को कोटि तीर्थ कुंड के नाम से भी जाना जाता है।
- यह अलौकिक मंदिर रूद्र सागर झील के किनारे पर स्थित है,जिसके चारों ओर बहुत बड़ी दीवारें और आंगन विद्यमान है।
- महाकालेश्वर मंदिर के इस अध्भुत वास्तुकला में मध्य और ऊपर की ओर ओंकारेश्वर और नागचंद्रेश्वर शिवलिंग की स्थापना की गई है।
- इस पवित्र मंदिर में महाकालेश्वर की प्रतिमा जमीन के निचले हिस्से यानी गर्भगृह में स्थित है, जिसका मुख दक्षिण दिशा की ओर है।
- महाकालेश्वर मंदिर तीन अध्भुत शैलियों की वास्तुकला का अनोखा मिश्रण है। इन शैलियों में मराठा, भूमिज और चालुक्य शैली शामिल है।
महाकालेश्वर मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य | Interesting facts about Mahakaleshwar Mandir
- महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन की जाने वाली सुबह की आरती श्मशान की राख से की जाती है और मुर्दे की राख से भोले बाबा का श्रृंगार किया जाता है।
- मंदिर में सुबह के समय होने वाली भस्म आरती में महिलाओं के प्रवेश को लेकर नियम होते है। बताया जाता है की महिलाएं साड़ी पहन कर ही इस आरती में प्रवेश कर सकती है। इसके साथ ही महिलाओं को उस रूप में भगवान के दर्शन करने की अनुमति नहीं होती है।
- माना जाता है भारत के सभी शिव मंदिरों में से यह इकलौता ऐसा शिव मंदिर है, जहां भगवान शिव की 6 बार आरती की जाती है। इतना ही नही हर बार आरती के समय भोले बाबा का एक अलग स्वरूप देखने को मिलता है।
- इस मंदिर के बारे में यह बताया जाता है की भारत की स्वतंत्रता के बाद इस मंदिर की देखभाल की जिम्मेदारी नगर निगम संस्था के पास चली गयी थी।
- महाकालेश्वर मंदिर के ऊपरी भाग में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर नाग पंचमी के दिन ही खोला जाता है। साल के बाकी दिन पर्यटकों और भक्तों के लिए यह मंदिर बंद रहता है।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर के बारे में यह भी मान्यता बताई जाती है की नागपंचमी के अवसर पर नागराज तक्षक, स्वयं यहां मौजूद रहते है।
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में यह भी बताया जाता है की इस मंदिर के 118 शिखरों के ऊपर लगभग 16 किलो सोने (स्वर्ण) की परत चढ़ाई गई है।
महाकालेश्वर मंदिर दर्शन समय | Mahakaleshwar Mandir Timings
महाकालेश्वर मंदिर सुबह 4 बजे से लेकर रात के 11 बजे तक खुला रहता है। इस अवधि के दौरान आप यहां दिए समय सारिणी के अनुसार भोले बाबा के दर्शन कर सकते है:
- मंदिर का समय – 4:00 am से 11:00 pm
- भस्म आरती – 4:00 am से 6:00 am
- प्रातः आरती – 7:00 am से 7:30 am
- शाम की आरती – 5:00 pm से 5:30 pm
- श्री महाकाल आरती – 7:30 pm से 7:30 pm
कैसे पहुंचे महाकालेश्वर, उज्जैन | How to reach Mahakaleshwar Temple Ujjain
यदि आप आने वाले समय में महाकालेश्वर जाने का प्लान कर रहे है तो यहां हम आपको रेल, बस और हवाई जहाज तीनों माध्यम से उज्जैन पहुंचने के बारे में जानकारी देने जा रहे है। आइये जानते है कैसे आप इन साधनों के माध्यम से महाकालेश्वर पहुंच सकते है
रेल से कैसे पहुंचे – How To Reach Ujjain By Train
यदि आप महाकालेश्वर उज्जैन तक का सफर रेल के माध्यम से करना चाहते है तो उसके लिए बता दे कि उज्जैन में विक्रम नगर, चिंतामन और उज्जैन सिटी जंक्शन नामक तीन मुख्य रेलवे स्टेशन है। इन तीनों स्टेशन पर भारत के लगभग सभी शहरों से ट्रेनें आती है।
बस से कैसे पहुंचे – How To Reach Ujjain By Road
यदि आप बस से उज्जैन का सफर करने के इच्छुक है, तो आपको बता दे उज्जैन का प्रमुख बस अड्डा नानाखेड़ा और देवास गेट है। इसके अलावा आप अपने निजी वहां से भी सड़क मार्ग के द्वारा महाकालेश्वर पहुंच सकते है। सभी शहरों से उज्जैन तक पहुंचने वाली सड़के मुख्यतः इंदौर रोड़ ,आगरा रोड़, देवास रोड,आदि है। यहां से आपको निजी बस की सुविधाएं भी उपलब्ध है।
हवाई जहाज से कैसे पहुंचे – How To Reach Ujjain By Airways
रेल या सड़क मार्ग से अलावा यदि आप हवाई जहाज से उज्जैन जाना चाहते है तो आपको अपने शहर से इंदौर के “देवी अहिल्याबाई होल्कर अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे” पर पहुंचना होगा। यह हवाई अड्डा उज्जैन के सबसे नजदीक पड़ने वाले हवाई अड्डे में से एक है। इंदौर के इस एयरपोर्ट के लिए आपको दिल्ली, मुंबई, कोलकत्ता आदि से फ्लाइट मिल जाएगी। इस एयरपोर्ट पर आने के बाद आपको उज्जैन के लिए निजी वाहन आसानी से मिल जाएंगे।
महाकालेश्वर मंदिर का रास्ता | Location of Mahakaleshwar Ujjain
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