Famous Ravan Temple in India : इन मंदिरों में आज भी होती है रावण की पूजा, पर्दा करती हैं महिलाएं

इन मंदिरों में रावण है भगवान, होती है पूजा

कोरोना की वजह से लॉक डाउन के बीच इन दिनों दूरदर्शन रामायण सीरियल को 33 साल बाद फिर से दिखा रहा है। इससे ना सिर्फ रामायण के पात्र बल्कि रामायण से जुड़ी घटनाओं में भी लोगों की रुचि बढ गई है। रामायण का खलनायक रावण जिसे अन्याय और अधर्म का प्रतीक माना जाता है वह लंका में तो पूजित है ही क्योंकि वह लंका का राजा हुआ करता था। श्रीलंका का कोनसवरम मंदिर दुनिया के सबसे प्रसिद्ध रावण मंदिरों में से एक है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां रावण की पूजा की जाती है और कुछ स्थानों पर रावण भगवान शिव के मंदिर में भाी विराजमान हैं।

बिसरख स्थित रावण का मंदिर

दिल्ली-एनसीआर के अंतर्गत आनेवाले ग्रेटर नोयडा क्षेत्र में बिसरख नाम का गांव है। इस गांव को रावण का जन्म स्थान माना जाता है। इस गांव में रावण का एक ऐसा मंदिर भी है, जिसमें 42 फिट ऊंचे शिवलिंग और 5.5 फिट ऊंचे रावण के स्टेच्यू के दर्शन किए जा सकते हैं। यहां रावण को महाब्रह्म का स्थान प्राप्त है और दशहरे पर “महाब्रह्म” के लिए शोक मनाने की परंपरा है। बिसरख गांव में रामलीला या रावण दहन नहीं किया जाता। यहां के लोग दशहरा नहीं मनाते, जिस दिन राम द्वारा रावण को मार दिया गया था। जानकारी के अनुसार, वर्तमान समय में बिसरख गांव में करीब 882 घर हैं और यह उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में स्थित है। गांव का नाम विश्रवा से लिया गया है। विश्रवा रावण के पिता थे। इनके बारे में कहा जाता है कि इन्होंने एक शिवलिंग की स्थापना के लिए मंदिर बनाया था। यह शिवलिंग उन्हें जंगल में प्राप्त हुआ था।

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दशानन रावण मंदिर, कानपुर

कानपुर के दशानन मंदिर में हजारों लोग रावण की पूजा करते हैं। रावण का मंदिर शहर के शिवाला क्षेत्र में बने शिव मंदिर से सटा हुआ है। यह रावण मंदिर साल में केवल एक बार दशहरे के त्यौहार पर खुलता है, जब रावण को उच्च शिक्षित व्यक्ति मानने वाले लोग उसके ज्ञान के कारण उसके मंदिर में दर्शन और पूजन करते हैं। स्वयं भगवान श्रीराम रावण के ज्ञान का सम्मान करते थे। कहा जाता है कि रावण को सभी हिंदू धर्मग्रंथों का ज्ञान था। श्रद्धालु इस मंदिर में जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस मंदिर की आधारशिला 1868 में रखी गई थी।

रावण मंदिर जोधपुर, राजस्थान

जोधपुर के रहनेवाले मुद्गल ब्राह्मणों को रावण का वंशज माना जाता है और इन्होंने अपने राजा के लिए एक भव्य मंदिर का निर्माण भी कराया है। मंदिर का आधार रावण की मूर्तियों से सुसज्जित है और ऊपर रावण का भव्य मंदिर बना है। जोधपुर शहर को मंदोदरी यानी रावण की पत्नी का मूल स्थान माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मंदोदरी मंडोर की रहनेवाली थीं, जो जोधपुर राज्य की प्राचीन राजधानी थी। ‘छवरी’ नाम की एक छतरी अभी भी वहां पर है। रावण मंदिर शहर के चांदपोल क्षेत्र में महादेव अमरनाथ और नवग्रह मंदिर परिसर में बनाया जा रहा है, जहां रावण के आराध्य देवताओं, शिव और देवी खुराना की मूर्तियां स्थापित हैं।

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रावणग्राम रावण मंदिर, मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश के रावणग्राम के लोग रावण की पूजा करते हैं। यहां रावण की एक प्राचीन मूर्ति स्थित है। जो करीब 10 फुट की है। इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण नौवीं से चौदहवीं शताब्दी के बीच हुआ है। यह मूर्ति लेटी हुई अवस्था में है। ग्रामीणों का मानना है कि इस मूर्ति को खड़ा करना बड़ा अपशकुन हो सकता है। मान्यता है कि जब भी किसी ने ऐसा करने का प्रयास किया है, क्षेत्र में अप्रिय घटनाएं घटित होने लगती हैं। दशहरा के अवसर पर जब देशभर के मंदिरों में भगवान राम की प्रार्थनाएं गूंजती हैं तब विदिशा जिले के रावणग्राम में यह मंदिर रावण की प्रार्थना से गूंजता है और “रावण बाबा नमः” के जयकारे लगते हैं। कहते हैं, कन्याकुजा ब्राह्मणों द्वारा 600 से अधिक वर्षों से समृद्धि के प्रतीक के रूप में रावण को पूजा जा रहा है।

रावण रूंडी, मध्यप्रदेश

एमपी के मंदसौर जिले में रावण रूंडी और शाजापुर जिले के भदखेड़ी में भी रावण की पूजा की जाती है। मंदसौर शहर में नामदेव वैष्णव समाज से संबंध रखनेवाले लोग दशहरे पर रावण की पूजा करते हैं। इनका मानना ​​है कि रावण की पत्नी मंदोदरी इस शहर की थीं। ऐसे में रावण को उस क्षेत्र के लोग दामाद मानते हैं और रावण दहन नहीं करते हैं। मंदसौर के खानपुर क्षेत्र में साल 2005 में 35 फुट ऊंची 10 सिर वाली रावण की मूर्ति स्थापित की गई। इससे पहले रावण की एक चूने और ईंट से बनी 25 फीट ऊंची मूर्ति यहां स्थापित की गई थी, जो 1982 तक वहां मौजूद थी। लेकिन बिजली गिरने के कारण इसमें दरारें विकसित हुई और अंततः यह नष्ट हो गई। दशहरा पर हर साल इस मूर्ति की भव्य पूजा की जाती है और क्षेत्र में महिलाएं दशहरे के दिन घूंघट के पीछे रहती हैं। क्योंकि वे रावण को अपना दामाद मानती हैं और यहां दामाद से परदा रखने का प्रचलन है। जबकि पुरुष अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए रावण की पूजा के दौरान कई तरह के धार्मिक कार्य करते हैं। इस अवसर पर रावण और उसके बेटे मेघनाद की पूजा की जाती है।

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काकीनाड़ा रावण मंदिर, आंध्र प्रदेश

काकीनाड़ा आंध्र प्रदेश का एक शहर है और साथ ही यह आंध्र प्रदेश का एकमात्र स्थान है, जहां रावण की पूजा की जाती थी। रावण के चित्रों को काकीनाड़ा में विशाल शिवलिंग के पास भगवान शिव के साथ स्थापित जाता है।
काकीनाड़ा शायद देश के उन चुनिंदा स्थानों में से एक है, जहां रावण का मंदिर है। यह क्षेत्र समुद्र तट के बहुत करीब स्थित है और शहर के बीचों-बीच स्थित है रावण का भव्य मंदिर। मंदिर के गेट पर रावण की विशाल प्रतिमा का निर्माण किया गया है। इस प्रतिमा में उनके दस सिर मौजूद हैं। यह स्थान उन अद्वितीय जगहों में से एक है, जहां काकीनाड़ा या आंध्र प्रदेश की यात्रा के दौरान जरूर घूमने आना चाहिए। मंदिर के अंदर भगवान शिव की मूर्तियां और शिवलिंग की स्थापना की गई हैं। मंदिर से दिखनेवाला वॉटर व्यू और इस मंदिर की शांति मन को बहुत लुभाती है।

बैद्यनाथ मंदिर, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश में जिला मुख्यालय शहर कांगड़ा से लगभग 60 किलोमीटर दूर बैजनाथ शहर स्थित है। यहां के निवासियों का मानना ​​है कि दशहरा का पर्व न मनाकर वे भगवान शिव के प्रति रावण की भक्ति का सम्मान कर रहे हैं।जबकि देशभर में दशहरा के पर्व पौराणिक राक्षस राजा रावण के पुतले को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में जलाया जाता है। बैद्यनाथ (4,311 फीट) हिमालय की सुंदर धौलाधार पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित एक छोटा शहर है। यह भगवान शिव के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जिसे 13 वीं शताब्दी में बनाया गया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा के पौत्र और ऋषि विश्रवा के पुत्र तथा धन के देवता कुबेर का छोटा भाई था। यहां के लोगों का यह भी मानना ​​है कि रावण एक विद्वान, कला के पारखी और शिव के अनन्य अनुयायी थे। उन्हें एक विद्वान के रूप में माना जाता है और उनकी पूजा करने वाले लोगों का मानना ​​है कि वे उस विद्वान राजा को जलाना उचित नहीं समझते जो सभी वेदों का ज्ञाता होने के साथ स्वयं महादेव का अनन्य भक्त हो।

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