स्व-कर्म करते जाओ
हमारी संस्कृति में आध्यात्मिकों की नजर में मोक्ष, एक सर्वोच्च कल्पना है। मोक्ष मिलना चाहिए ऐसी हर व्यक्ति की आंतरिक भावना होती है। किंतु हमारे ऋषि-मुनियों ने जिन चार पुरूषार्थों का महत्व दिया है, उनमें मोक्ष चौथा पुरूषार्थ है। धर्म, अर्थ और काम अन्य तीन पुरूषार्थ हैं। इन तीन पुरूषार्थों के लिए काम करते करते … Read more