चालीसा: भगवान श्री शीतलनाथ जी (Bhagwan Shri Sheetalnath Ji)
शीतल हैं शीतल वचन, चन्दन से अधिकाय। कल्प वृक्ष सम प्रभु चरण, हैं सबको सुखकाय॥जय श्री शीतलनाथ गुणाकर, महिमा मंडित करुणासागर। भाद्दिलपुर के दृढरथ राय, भूप प्रजावत्सल कहलाये॥ रमणी रत्न सुनन्दा रानी, गर्भ आये श्री जिनवर ज्ञानी। द्वादशी माघ बदी को जन्मे, हर्ष लहर उठी त्रिभुवन में॥ उत्सव करते देव अनेक, मेरु पर करते अभिषेक। … Read more