खलीफा उमर के हुक्म को मानने से इस महिला ने किया इनकार, किया सलाम

खलीफा उमर के हुक्म को मानने से इस महिला ने किया इनकार, किया सलाम

संकलन: दीनदयाल मुरारकाखलीफा उमर ईमानदारी और सादगी में यकीन करते थे। उनका हुक्म था कि चोगा बनाने के लिए शाही भंडार से सभी लोगों को एक समान कपड़ा दिया जाए। खुद उन्हें भी उससे अलग ना रखा जाए। एक बार वह भाषण दे रहे थे। भाषण के दौरान उन्होंने लोगों से पूछा, ‘क्या आप लोग … Read more

पुत्र के अहंकार को दूर करने के लिए अंगिरा ऋषि का सर्दी में अनूठा प्रयोग, आपके लिए भी फायदेमंद

पुत्र के अहंकार को दूर करने के लिए अंगिरा ऋषि का सर्दी में अनूठा प्रयोग, आपके लिए भी फायदेमंद

अंगिरा ऋषि का शिष्य उदयन बड़ा प्रतिभाशाली था। वह सदैव यही चाहता था कि पहले उसे ही प्रतिभा के प्रदर्शन का मौका मिले या लोग सिर्फ उसी का प्रदर्शन देखते रहें। इसलिए वह सहयोगियों से अलग अपना प्रभाव दिखाने का प्रयास करता था। अंगिरा ऋषि ने उदयन की इस वृत्ति को पहचानकर सोचा कि यह … Read more

मार्टिन लूथर ने ईसाई धर्म में प्रचलित रूढ़ियों का किया विरोध, बताया अपना यह धर्म

मार्टिन लूथर ने ईसाई धर्म में प्रचलित रूढ़ियों का किया विरोध, बताया अपना यह धर्म

संकलन: ललित गर्गएक बार महान मानवतावादी मार्टिन लूथर ने ईसाई धर्म में प्रचलित रूढ़ियों के विरोध में आवाज उठाई तो एक खास तबके ने उन्हें और उनके सहयोगियों को तरह-तरह से प्रताड़िता करना शुरू कर दिया। इन घटनाओं का मार्टिन लूथर पर तो कोई असर नहीं हुआ, लेकिन उनके शिष्यों में घोर निराशा छा गई। … Read more

ओसियोला ने अपने सारे पैसे दान कर जगाई शिक्षा की अलख

ओसियोला ने अपने सारे पैसे दान कर जगाई शिक्षा की अलख

ओसियोला तब छोटी बच्ची थीं। एक दिन उनकी आंटी की तबीयत खराब हो गई। ओसियोला को उनकी देखभाल के लिए उनके साथ रहना पड़ा। इस दौरान उनका स्कूल छूट गया और वे स्कूली शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह गईं। बड़ी हुईं तो जीविका की समस्या आ खड़ी हुई। उनके परिवार में लोग कपड़े धोने … Read more

राजेंद्र बाबू ने अपने नाती को भेंट में दिया एक रुपया, पत्नी रह गई निरुत्तर

राजेंद्र बाबू ने अपने नाती को भेंट में दिया एक रुपया, पत्नी रह गई निरुत्तर

डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जब राष्ट्रपति थे, तब उनकी पुत्री एक बार उनसे मिलने राष्ट्रपति भवन आईं। उनके साथ उनका पुत्र भी था। वह राष्ट्रपति भवन में कुछ देर तक रुकीं और जब वापस जाने लगी तो राजेंद्र बाबू ने अपने नाती को एक रुपया भेंट कर दिया। जब राजेंद्र बाबू की पत्नी ने नाती के … Read more

गांधीजी ने तीनों बंदर को अपना गुरु बताया, बोले इसमें छिपा है गूढ़ रहस्य

गांधीजी ने तीनों बंदर को अपना गुरु बताया, बोले इसमें छिपा है गूढ़ रहस्य

कुछ दिनों से गांधीजी के कमरे में तीन बंदरों वाला खिलौना रखा हुआ था। लोग आते और उस खिलौने को देखते। एक दिन एक व्यक्ति ने उनसे पूछा, ‘बापूजी, आपने यह तीन बंदरों वाला खिलौना सजाकर क्यों रखा है? जरूर इसके पीछे कोई गहरा राज है, क्योंकि आप साधारण खिलौने रखने वालों में से नहीं … Read more

जान‍िए क्‍या हुआ जब अमीर खुसरो को पता चला कि हजरत के पैरों में जूतियां नहीं है?

जान‍िए क्‍या हुआ जब अमीर खुसरो को पता चला कि हजरत के पैरों में जूतियां नहीं है?

एक बार कहीं से एक फकीर हजरत निजामुद्दीन की सेवा में पहुंचा। तीन-चार दिनों तक फकीर आवाज लगाता रहा। हजरत निजामुद्दीन ने यह देखा तो उन्होंने उस फकीर को बुलाया। हजरत ने फकीर से कहा, ‘लो, हमारी जूतियां उठाकर ले जाओ।’ फकीर ने महबूबे इलाही की जूतियां उठाईं और मुल्तान की ओर चल पड़ा। हजरत … Read more

द्रौपदी से सीखें हज़्बंड मैनेजमेंट, 5 पतियों के साथ ऐसे संभाला परिवार

द्रौपदी से सीखें हज़्बंड मैनेजमेंट, 5 पतियों के साथ ऐसे संभाला परिवार

पांचाली का गूढ़ ज्ञान महाभारत काल हमें बेहतर जीवन जीने की न सिर्फ श‍िक्षा देता है बल्कि यह भी बताता है क‍ि रिश्‍तों को कैसे न‍िभाया जाता है। मसलन क‍िससे बात करते समय सदैव मर्यादा का पालन करना चाहिए? कौन हर पर‍िस्थिति में आदरणीय है? और सबसे खास बात यह क‍ि एक ही नारी यानी … Read more

‘मन चंगा, तो कठौती में गंगा’ इस कहावत के पीछे यह है कहानी

'मन चंगा, तो कठौती में गंगा' इस कहावत के पीछे यह है कहानी

एक दिन संत रैदास (रविदास) अपनी झोपड़ी में बैठे प्रभु का स्मरण कर रहे थे। तभी एक राहगीर ब्राह्मण उनके पास अपना जूता ठीक कराने आया! रैदास ने पूछा कहां जा रहे हैं, ब्राह्मण बोला गंगा स्नान करने जा रहा हूं। जूता ठीक करने के बाद ब्राह्मण द्वारा दी मुद्रा को रैदासजी ने कहा कि … Read more

जान‍िए, प‍िता की क‍िस बात ने नेल्‍सन मंडेला को बनाया सदाचारी और न्‍यायपूर्ण

जान‍िए, प‍िता की क‍िस बात ने नेल्‍सन मंडेला को बनाया सदाचारी और न्‍यायपूर्ण

नेल्सन मंडेला के पिता गेडला हेनरी मवेजो गांव के मुखिया थे। मुखिया का पद उन्हें थेंबू के राजा से मिला था। इस पद को ब्रिटिश शासन से संस्तुति थी। इस संस्तुति के कारण वह स्थानीय दंडाधिकारी थे। इस अधिकार का प्रयोग वह निष्पक्ष भाव से करते थे। न्यायप्रियता की चर्चा उन्हें गौरवान्वित करती थी। सरकारी … Read more