इस तरह दिल्ली के गुरुद्वारा साहिब की हुई थी स्थापना, कटी थी पहाड़ी

इस तरह दिल्ली के गुरुद्वारा साहिब की हुई थी स्थापना, कटी थी पहाड़ी

विवेक शुक्लाइंदर सिंह कोहली 1947 में रावलपिंडी से शरणार्थी के रूप में दिल्ली आए थे। यहां छोटा-मोटा कारोबार करने लगे। काम चलने लगा। कोहलीजी पैसा कमाते और जोड़ते। 1960 में ग्रेटर कैलाश-पार्ट वन में प्लॉट बिक रहे थे। डीएलएफ ने प्लॉट काटे थे। उन्होंने भी एक प्लॉट लिया। पर उन्हें यहां पर गुरुद्वारे की कमी … Read more

यहां पर काम करते हुए अल्बर्ट आइंस्टाइन ने की थी प्रकाश-विद्युत की खोज, मिला नोबेल पुरस्कार

यहां पर काम करते हुए अल्बर्ट आइंस्टाइन ने की थी प्रकाश-विद्युत की खोज, मिला नोबेल पुरस्कार

संकलन: स्वाति आहूजाबात 1902 की है। अल्बर्ट आइंस्टाइन ने स्विट्जरलैंड के शहर बर्न के पेटेंट ऑफिस में बतौर क्लर्क काम शुरू किया। ऑफिस में तकनीकी आविष्कारों का लेखा-जोखा रखा जाता था। कोई नया इंजन बनाता, कोई कल-पुर्जा बनाता या कोई नया रसायन बनाता तो वह बर्न के इस दफ्तर में अपने आविष्कार का नमूना जरूर … Read more

आर्थिक स्थिति के कारण आ गई थी पढ़ाई में रुकावट, मदद मिली तो कर दिया कारनामा

आर्थिक स्थिति के कारण आ गई थी पढ़ाई में रुकावट, मदद मिली तो कर दिया कारनामा

संकलन: दीनदयाल मुरारकास्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक मेहनती छात्र था हरबर्ट। एक वक्त आया जब उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। पढ़ाई का खर्च जुटाना उसके लिए मुश्किल हो गया। ऐसे में अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसने महान पियानो वादक इग्नेसी पैडरेस्की को बुलाने की सोची। इग्नेसी के मैनेजर ने 2000 डॉलर … Read more

आखिर राजा ने चांडाल की झोपड़ी के लिए क्यों छोड़ दिया राजमहल

आखिर राजा ने चांडाल की झोपड़ी के लिए क्यों छोड़ दिया राजमहल

योगगुरु सुरक्षित गोस्वामी राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्ति के लिए तत्व ज्ञानी शुकदेवजी ने श्रीमद्‌भागवत सुनाई। सात दिनों तक भागवत सुनाने के बाद शुकदेवजी ने राजा से पूछा- अभी आपको वैराग्य का भाव पक्का हो गया होगा। परीक्षित बोले- गुरुवर मेरे अंदर की स्थिति में अभी कोई बदलाव नहीं आया। इतना सुनकर शुकदेवजी ने राजा … Read more

इसलिए चैतन्य महाप्रभु ने गंगा में बहा दिया ग्रंथ

इसलिए चैतन्य महाप्रभु ने गंगा में बहा दिया ग्रंथ

संकलन: रेनू सैनीचैतन्य महाप्रभु बचपन से ही बेहद प्रतिभाशाली थे। कम उम्र में ही उन्होंने बहुत कुछ पढ़ डाला था। माता-पिता उन्हें प्यार से निमाई कहते थे। पिता का स्वर्गवास हो जाने के बाद उन्होंने कम उम्र में ही परिपक्वता धारण कर लिया। व्याकरण के साथ-साथ उन्होंने बहुत सी ज्ञानवर्द्धक बातों को साध लिया। लोग … Read more

इस यात्रा पर गांधीजी ने नहीं पहनी थीं चप्पल, कर दिया था त्याग

इस यात्रा पर गांधीजी ने नहीं पहनी थीं चप्पल, कर दिया था त्याग

संकलन: राधा नाचीजगांधीजी को सबकी समस्या अपनी समस्या लगती थी। किसी को दुखी देखकर वह दुखी हो जाते थे और उसकी समस्या को दूर करने के लिए पूरे मनोयोग से जुट जाते थे। एक बार की बात है। गांधीजी नोआखाली से चंडीपुर गांव की ओर जा रहे थे। वहां जाने से पहले उन्होंने अपने मस्तक … Read more

अफलातून ने बताया है जीवन का सबसे बड़ा सच, आप भी जानें क्‍या है यह?

अफलातून ने बताया है जीवन का सबसे बड़ा सच, आप भी जानें क्‍या है यह?

संकलन : देवेंदर शर्मा यूनानी दार्शनिक अफलातून के पास हर दिन कुछ लोग ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते थे। लेकिन वह खुद को कभी ज्ञानी नहीं मानते थे। उनका मानना था कि इंसान कभी भी ज्ञानी कैसे हो सकता है, वह तो हमेशा सीखता ही रहता है। एक दिन उनके एक मित्र ने उनसे … Read more

छुआछूत मिटाने के लिए बापू ने किए ऐसे काम, जानकर रह जाएंगे हैरान

छुआछूत मिटाने के लिए बापू ने किए ऐसे काम, जानकर रह जाएंगे हैरान

संकलन: राधा नाचीजजिस समय बापू लोगों को आजादी के लिए एकजुट करने में लगे हुए थे, उस समय भारत में अस्पृश्यता और छुआछूत का बोलबाला था। सवर्ण जाति के लोग निम्न जाति के लोगों से मनमाना काम कराते थे और बहुत ही बर्बर व्यवहार करते थे। बापू भेदभाव की इन बातों को उचित नहीं मानते … Read more

यहां 14 पति की आयु के बराबर होती है एक पत्नी की उम्र, ऐसा अजब है नियम

यहां 14 पति की आयु के बराबर होती है एक पत्नी की उम्र, ऐसा अजब है नियम

14 पति के बराबर पत्नी की उम्र यह सुनने में अटपटा लग सकता है लेकिन जब मैल से असुर का जन्म हो सकता है और पसीने की बूंद से हनुमानजी को पुत्र प्राप्त हो सकता है तो ऐसा होना भी आश्चर्य की बात नहीं है। और जब यह बात स्वयं वह स्त्री कह रही हो … Read more

इस बच्चे ने अंग्रेजों से सीखा फुटबॉल खेलना, भारत को बना दिया चैंपियन

इस बच्चे ने अंग्रेजों से सीखा फुटबॉल खेलना, भारत को बना दिया चैंपियन

संकलन: अंशुल जाटवसन 1936 की गर्मियों की बात है। कलकत्ता (कोलकाता) के फोर्ट विलियम कॉलेज के मैदान में अंग्रेज सिपाही फुटबॉल खेल रहे थे। वहीं पर कुछ भारतीय बच्चे भी खड़े थे। उन दिनों अंग्रेज भारतीयों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते थे। मगर बच्चे इस उम्मीद में मैदान के बाहर खड़े थे कि अंग्रेजों … Read more