आखिर क्‍यों इस महान विधवा महिला को लगाना पड़ गया घड़ी भर का सिंदूर

आखिर क्‍यों इस महान विधवा महिला को लगाना पड़ गया घड़ी भर का सिंदूर

संकलन : सुलोचना वर्मासितंबर 1915 की एक दुपहरी और देश में अंग्रेजों का निर्मम शासन। 27 साल की खूबसूरत सधवा युवती कैद में बंद अपने पति से मिलने कलकत्ता की प्रेसिडेंसी जेल गई। सिपाहियों के लिए साथ में नारियल के लड्डू थे। इधर सिपाही लड्डू खाने लगे और उधर उसने अपना काम कर दिया। जब … Read more

Famous Ravan Temple in India : इन मंदिरों में आज भी होती है रावण की पूजा, पर्दा करती हैं महिलाएं

Famous Ravan Temple in India : इन मंदिरों में आज भी होती है रावण की पूजा, पर्दा करती हैं महिलाएं

इन मंदिरों में रावण है भगवान, होती है पूजा कोरोना की वजह से लॉक डाउन के बीच इन दिनों दूरदर्शन रामायण सीरियल को 33 साल बाद फिर से दिखा रहा है। इससे ना सिर्फ रामायण के पात्र बल्कि रामायण से जुड़ी घटनाओं में भी लोगों की रुचि बढ गई है। रामायण का खलनायक रावण जिसे … Read more

समाज में अपनी विद्वत्ता मनवाने के लिए आपमें भी यह गुण होना है जरूरी

समाज में अपनी विद्वत्ता मनवाने के लिए आपमें भी यह गुण होना है जरूरी

मिस्र में जुन्नुन नाम के एक सूफी संत थे। एक दिन उनसे मिलने एक नौजवान आया। उसने कहा, ‘मैंने काफी पढ़ाई की है। मुझे जिन शिक्षकों ने सिखाया, वे सब मेरी बहुत तारीफ करते थे। लेकिन जब लौटकर मैं अपने गांव आया तो यहां कोई मुझे किसी लायक नहीं समझता। मेरी समझ में नहीं आ … Read more

भीष्‍म पितामह ने पिछले जन्‍म में किया था यह पाप, इसलिए सहन करनी पड़ी इतनी पीड़ा

भीष्‍म पितामह ने पिछले जन्‍म में किया था यह पाप, इसलिए सहन करनी पड़ी इतनी पीड़ा

महाभारत के सबसे चर्चित पात्रों में से एक थे भीष्‍म पिताम‍ह। हृदय से दयालु, मर्मस्‍पर्शी, सदैव सन्‍मार्ग पर चलने वाले भीष्‍म पितामह को अपने आखिरी वक्‍त में इतनी पीड़ा क्‍‍‍‍‍‍यों सहन करनी पड़ी? पुराणों में बताया गया है कि महापुरुष होते हुए भी आखिर क्‍यों उन्‍हें इतनी यातनाएं सहनी पड़ी। यह सब उनके पूर्व जन्‍म … Read more

जब टिकट के पैसे न होने की वजह से स्‍वामी विवेकानंद को ट्रेन से बीच में ही उतरना पड़ा

जब टिकट के पैसे न होने की वजह से स्‍वामी विवेकानंद को ट्रेन से बीच में ही उतरना पड़ा

संकलन : गोपाल अग्रवालहाथरस स्टेशन पर स्वामी बैठे थे। आखिरी गाड़ी जा चुकी थी। प्लेटफॉर्म सुनसान हो गया था। ड्यूटी समाप्त कर घर जा रहे असिस्टेंट स्टेशन मास्टर शरद गुप्त ने स्वामी को देखा तो पूछा, ‘महाराज कहां से आ रहे हैं, कहां जाना है?’ स्वामी ने उत्तर दिया, वृंदावन से आ रहा हूं, हरिद्वार … Read more

देवराज इंद्र, बादल, वायुदेव, हिमालय से भी शक्तिशाली निकला चूहा, जानें कैसे

देवराज इंद्र, बादल, वायुदेव, हिमालय से भी शक्तिशाली निकला चूहा, जानें कैसे

नदी में स्नान करने के बाद ऋषि ने जैसे ही सूर्य नारायण को अर्घ्य देने के लिए हाथ उठाया, तो ऊपर पेड़ से एक चुहिया हाथ में गिरी। ऋषि, प्रसाद समझ कर उसको घर ले आए। ऋषि पत्नी ने कहा हमारे कोई संतान नहीं है, आप इसको अपनी शक्ति से कन्या बना दें। ऋषि ने … Read more

लालबहादुर शास्त्री ने इस तरह जिला मैजिस्ट्रेट को दिया था निष्ठा एवं ईमानदारी का पुरस्कार

लालबहादुर शास्त्री ने इस तरह जिला मैजिस्ट्रेट को दिया था निष्ठा एवं ईमानदारी का पुरस्कार

तब लालबहादुर शास्त्री देश के गृहमंत्री थे। एक बार वे किसी सरकारी काम से इटावा गए। उन दिनों राजेश्वर प्रसाद वहां के जिला मैजिस्ट्रेट थे। जब शास्त्रीजी पहुंचे तो राजेश्वर प्रसाद की जगह वहां के अतिरिक्त जिला मैजिस्ट्रेट ने शास्त्रीजी का स्वागत किया। कुछ देर बाद शास्त्रीजी अतिरिक्त जिला मैजिस्ट्रेट से बोले, ‘राजेश्वर प्रसाद जी … Read more

अपनी ईमानदारी को साबित करने के लिए बुखारी को गंवानी पड़ी अपनी दौलत

अपनी ईमानदारी को साबित करने के लिए बुखारी को गंवानी पड़ी अपनी दौलत

सऊदी अरब में अपनी ईमानदारी के लिए एक मशहूर विद्वान हुए-बुखारी। एक बार वह समुद्री जहाज से लंबी यात्रा पर निकले। उन्होंने सफर के खर्च के लिए एक हजार दीनार अपनी पोटली में बांध ली। यात्रा के दौरान दूसरे यात्रियों से उनकी पहचान बढ़ गई। एक यात्री से उनकी नजदीकियां कुछ ज्यादा बढ़ गईं। एक … Read more

आखिर क्‍यों गुरुनानकदेवजी ने स्‍वीकार नहीं किया सेठ का दिया हुआ स्‍वादिष्‍ठ भोजन

आखिर क्‍यों गुरुनानकदेवजी ने स्‍वीकार नहीं किया सेठ का दिया हुआ स्‍वादिष्‍ठ भोजन

एक बार गुरुनानकदेव और मर्दाना सुल्तानपुर से यात्रा करते हुए सैयदपुर पहुंचे। सैयदपुर में जब वह बाजार से जा रहे थे, तो वहां उन्हें लालो नाम का एक बढ़ई काम करता हुआ मिला। लालो लकड़ी की छोटी-मोटी वस्तुएं बनाकर अपनी जीविका चलाता था। उसने गुरुनानक देव को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया। लालो … Read more

जानें, आखिर स्वामी विवेकानंद ने क्यों कहा बिना दुख के जीवन नहीं

जानें, आखिर स्वामी विवेकानंद ने क्यों कहा बिना दुख के जीवन नहीं

संकलन: रेनू सैनीएक महान दार्शनिक स्वामी विवेकानंद के पास बैठे हुए थे। यह देखकर काफी लोग वहां पर आ जुटे और उनसे सवाल-जवाब करने लगे। दार्शनिक स्वामी विवेकानंद से बोले, ‘इस जीवन में दुख बहुत है। मुझे नहीं लगता कि इस जीवन से कभी दुखों का अंत हो सकता है।’ यह सुनकर स्वामीजी बोले, ‘मेरे … Read more