Mahashivratri Vrat Katha: महाशिवरात्रि व्रत कथा, अनजाने में हुआ महाशिवरात्रि व्रत, हो गया यह चमत्कार

Mahashivratri Vrat Katha: महाशिवरात्रि व्रत कथा, अनजाने में हुआ महाशिवरात्रि व्रत, हो गया यह चमत्कार

Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि फाल्‍गुन कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ने वाली शिवरात्रि को कहते हैं। शिव पुराण में इस दिन का बड़ा महत्व बताया गया है। मान्‍यता है कि इसी दिन माता पार्वती और भोलेनाथ का विवाह हुआ था और इसी दिन शिवजी पहली बार लिंग रूप में प्रकट हुए थे। यही वजह है कि … Read more

Holika Kaun Thi: प्यार की खातिर आग में जली होलिका, पढ़ें होलिका की दिल दहलाने वाली प्रेम कथा

Holika Kaun Thi: प्यार की खातिर आग में जली होलिका, पढ़ें होलिका की दिल दहलाने वाली प्रेम कथा

होली पर्व के साथ ही जुड़ी है होलिका की कहानी। या यूं कहें कि होलिका की वजह से ही रंग-गुलाल के इस पर्व का नाम होली पड़ा तो यह कहना गलत नहीं होगा। होली को यूं तो बुराई का प्रतीक मानते हैं और होलिका जलाकर बुराई के अंत का उत्सव मनाते हैं। लेकिन सच यह … Read more

भगवान बुद्ध ने क्यों कहा ‘जागो! समय हाथ से निकला जा रहा है’ नर्तकी और डाकू ने दिया यह जवाब

भगवान बुद्ध ने क्यों कहा ‘जागो! समय हाथ से निकला जा रहा है’ नर्तकी और डाकू ने दिया यह जवाब

संकलन : मुकेश शर्मा एक समय की बात है। भगवान बुद्ध एक शहर में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने प्रवचन के बाद आखिर में कहा, ‘जागो! समय हाथ से निकला जा रहा है।’ इस तरह उस दिन की प्रवचन सभा समाप्त हो गई। सभा के बाद तथागत ने अपने शिष्य आनंद से कहा, ‘थोड़ी दूर … Read more

जानिए कैसे और क्‍यों बालिका के सामने हार गए थे महाकव‍ि कालिदास?

जानिए कैसे और क्‍यों बालिका के सामने हार गए थे महाकव‍ि कालिदास?

महाकवि कालिदास के कंठ में साक्षात् सरस्वती का वास था। शास्त्रार्थ में उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता था। अपार यश, प्रतिष्ठा और सम्मान पाकर एक बार कालिदास को अपनी विद्वत्ता का घमंड हो गया। उन्हें लगा कि उन्होंने विश्व का सारा ज्ञान प्राप्त कर लिया है और अब सीखने को कुछ बाकी नहीं बचा। … Read more

धर्म मनुष्य को बड़ा बनाने के लिए होता है, सांप्रदायिक संकीर्णता की उसमें कोई जगह नहीं

धर्म मनुष्य को बड़ा बनाने के लिए होता है, सांप्रदायिक संकीर्णता की उसमें कोई जगह नहीं

एक बार हकीम अजमल खां, डॉ. अंसारी तथा उनके कुछ और मुस्लिम मित्र स्वामी श्रद्धानंद से मिलने गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार पहुंचे। स्वामीजी ने उनका यथोचित सत्कार किया। फिर उन्होंने अपने एक प्रमुख शिष्य से कहा कि वह अतिथियों के भोजनादि की व्यवस्था देखे। शिष्य ने व्यक्तिगत रूप से सभी अतिथियों को प्रेम से भोजन कराया। … Read more

जब भक्त रैदास को मिला पारस पत्थर, फिर भी रहा गरीब

जब भक्त रैदास को मिला पारस पत्थर, फिर भी रहा गरीब

संकलन: राधा नाचीजभक्त रैदास जाति से चर्मकार थे, किंतु साधु-संतों की बड़ी सेवा करते थे। एक बार एक साधु उनके पास आया। रैदास ने उसे भोजन कराया और अपने बनाए हुए जूते उसे पहनाए। साधु बोला, ‘रैदासजी, मेरे पास एक अनमोल वस्तु है। आप साधु-संतों की सेवा करते हैं, इस कारण मैं उसे आपको दूंगा। … Read more

विश्व की इकलौती महिला, जिसने की धार्मिक संस्था की स्थापना

विश्व की इकलौती महिला, जिसने की धार्मिक संस्था की स्थापना

संकलन: रेनू सैनीअक्टूबर की बर्फीली रात थी। अमेरिका में गृहयुद्ध समाप्त हुए कुछ ही समय हुआ था। ऐसी रात में एक बेघर, निर्धन और दुर्बल सी महिला आसरा ढूंढ़ रही थी। किटकिटाते दांत, अकड़ते शरीर को ढकते हुए उसने मदर वेब्स्टर का दरवाजा खटखटाया। मदर वेब्स्टर एक रिटायर्ड समुद्री कप्तान की पत्नी थीं और एंसबरी, … Read more

जान‍िए जॉर्ज स्‍टीफेंसन की पूरी कहानी, कैसे वह बिना पढ़ाई के बन गए मैकेनिकल इंजीनियर

जान‍िए जॉर्ज स्‍टीफेंसन की पूरी कहानी, कैसे वह बिना पढ़ाई के बन गए मैकेनिकल इंजीनियर

जॉर्ज स्टीफेंसन के माता-पिता माबेल और रॉबर्ट निरक्षर थे। पिता कोयले की खदान में मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वे अपने बच्चे को स्कूल भेज सकें। हमउम्र बच्चों को स्कूल जाते देख जॉर्ज जब मां से स्कूल भेजने की जिद करते और रोते तो माबेल किसी … Read more

केवल इस समय याद आती है मातृभाषा, गोपाल ने किया दावा

केवल इस समय याद आती है मातृभाषा, गोपाल ने किया दावा

संकलन: मनीषा देवीगोपाल भांड बंगाल में नदिया के राजा कृष्णचंद्र के दरबार के नवरत्नों में से थे। वह अपनी सूझ-बूझ और चतुराई से राजा सहित आम जनता की समस्याओं को सुलझाने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। एक बार राजा कृष्णचंद्र की सभा में राज्य के बाहर से एक पंडित आए। वह उस समय के … Read more

मौत से बेखौफ खुसरों ने कहा ईमान से बढ़कर तो नहीं जान की कीमत

मौत से बेखौफ खुसरों ने कहा ईमान से बढ़कर तो नहीं जान की कीमत

सुल्तान जलालुद्दीन हजरत निजामुद्दीन से मिलना चाहते थे। भेंट के लिए सुल्तान ने हजरत निजामुद्दीन से बार-बार इल्तिजा की, लेकिन एक बार भी उन्हें हाजिरी की इजाजत नहीं मिली। हारकर सुल्तान ने निजामुद्दीन के सबसे प्रिय शिष्य अमीर खुसरो को अपने पास बुलाया। खुसरो आए तो सुल्तान उनसे बोले, ‘हजरत तो कैसे भी मुझे हाजिरी … Read more