कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 17 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 17)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 22 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 22)

भक्ति से भरे भाव हे हरि मेरे मन उपजाओ । सत्रहवां अध्याय कार्तिक, कृपा दृष्टि कर जाओ ॥उस समय शिवजी के गण प्रबल थे और उन्होंने जलन्धर के शुम्भ-निशुम्भ और महासुर कालनेमि आदि को पराजित कर दिया। यह देख कर सागर पुत्र जलंधर एक विशाल रथ पर चढ़कर – जिस पर लम्बी पताका लगी हुई … Read more

चित्रगुप्त की कथा – यम द्वितीया (Chitragupt Ji Ki Katha – Yam Dwitiya)

यम द्वितिया, कार्तिक द्वितीया अथवा भैया दूज पर श्री चित्रगुप्त जी की पढ़ी जाने वाली पौराणिक कथा, पूजन एवं विधि..मंत्री श्री धर्मराजस्य चित्रगुप्त: शुभंकर: । पायान्मां सर्वपापेभ्य: शरणागत वत्सल: ॥ एक बार युधिष्ठिरजी भीष्मजी से बोले: हे पितामह! आपकी कृपा से मैंने धर्मशास्त्र सुने, परंतु यम द्वितीया का क्या पुण्य है? क्या फल है? यह … Read more

भैया दूज लोक कथा (Bhaiya Dooj Lauk Katha)

एक बुढ़िया माई थीं, उसके सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी कि शादी हो चुकी थी। जब भी उसके बेटे कि शादी होती, फेरों के समय एक नाग आता और उसके बेटे को डस लेता था। बेटे कि वही म्रत्यु हो जाती और बहू विधवा, इस तरह उसके छह बेटे मर गये। सातवे कि … Read more

भैया दूज पौराणिक कथा (Bhaiya Dooj Pauranik Katha)

भैया दूज पौराणिक कथा (Bhaiya Dooj Pauranik Katha)

भैया दूज पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भैया दूज की पौराणिक कथा इस प्रकार से है…भैया दूज पौराणिक कथा: भैया दूज के संबंध में पौराणिक कथा इस … Read more

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 18 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 18)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 22 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 22)

लिखता हूँ मॉ पुराण की, सीधी सच्ची बात । अठारहवां अध्याय कार्तिक, मुक्ति का वरदात ॥अब रौद्र रूप महाप्रभु शंकर नन्दी पर चढ़कर युद्धभूमि में आये। उनको आया देख कर उनके पराजित गण फिर लौट आये और सिंहनाद करते हुए आयुद्धों से दैत्यों पर प्रहार करने लगे। भीषण रूपधारी रूद्र को देख दैत्य भागने लगे … Read more

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा | बृहस्पतिदेव की कथा (Shri Brihaspatidev Ji Vrat Katha)

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा | बृहस्पतिदेव की कथा (Shri Brihaspatidev Ji Vrat Katha)

॥ अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा ॥ भारतवर्ष में एक प्रतापी और दानी राजा राज्य करता था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्मणों की सहायता करता था। यह बात उसकी रानी को अच्छी नहीं लगती थी, वह न ही गरीबों को दान देती, न ही भगवान का पूजन करती थी और राजा को भी दान देने … Read more

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 21 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 21)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 21 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 21)

लिखने लगा हूँ श्रीहरि के, चरणों में शीश नवाय । कार्तिक माहात्म का बने, यह इक्कीसवाँ अध्याय ॥ अब ब्रह्मा आदि देवता नतमस्तक होकर भगवान शिव की स्तुति करने लगे। वे बोले – हे देवाधिदेव! आप प्रकृति से परे पारब्रह्म और परमेश्वर हैं, आप निर्गुण, निर्विकार व सबके ईश्वर होकर भी नित्य अनेक प्रकार के … Read more

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 20 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 20)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 22 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 22)

माँ शारदा की प्रेरणा, स्वयं सहाय । कार्तिक माहात्म का लिखूं, यह बीसवाँ अध्याय ॥ अब राजा पृथु ने पूछा – हे देवर्षि नारद! इसके बाद युद्ध में क्या हुआ तथा वह दैत्य जलन्धर किस प्रकार मारा गया, कृपया मुझे वह कथा सुनाइए। नारद जी बोले – जब गिरिजा वहां से अदृश्य हो गईं और … Read more

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 19 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 19)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 19 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 19)

श्री विष्णु मम् हृदय में, प्रेरणा करने वाले नाथ । लिखूँ माहात्म कार्तिक, राखो सिर पर हाथ ॥राजा पृथु ने पूछा – हे नारद जी! अब आप यह कहिए कि भगवान विष्णु ने वहाँ जाकर क्या किया तथा जलन्धर की पत्नी का पतिव्रत किस प्रकार भ्रष्ट हुआ? नारद जी बोले – जलन्धर के नगर में … Read more

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 22 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 22)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 22 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 22)

बाईसवें अध्याय की, जब लिखने लगा हूँ बात । श्री प्रभु प्रेरणा प्राप्त कर, कलम आ गई हाथ ॥ राजा पृथु ने नारद जी से पूछा – हे देवर्षि! कृपया आप अब मुझे यह बताइए कि वृन्दा को मोहित करके विष्णु जी ने क्या किया और फिर वह कहाँ गये?जब देवता स्तुति कर मौन हो … Read more