आरती राम लला की (Aarti Ram Lala Ki)

गाय माता! और दिव्य मिठास वाला गुड़ (Gay Mata Aur Divy Mithas Wala Gud)

आरती कीजे श्रीरामलला की । पूण निपुण धनुवेद कला की ॥धनुष वान कर सोहत नीके । शोभा कोटि मदन मद फीके ॥ सुभग सिंहासन आप बिराजैं । वाम भाग वैदेही राजैं ॥ कर जोरे रिपुहन हनुमाना । भरत लखन सेवत बिधि नाना ॥ शिव अज नारद गुन गन गावैं । निगम नेति कह पार न … Read more

आरती: श्री रामायण जी (Shri Ramayan Ji)

आरती: श्री रामायण जी (Shri Ramayan Ji)

आरती श्री रामायण जी की । कीरति कलित ललित सिय पी की ॥गावत ब्रहमादिक मुनि नारद । बाल्मीकि बिग्यान बिसारद ॥ शुक सनकादिक शेष अरु शारद । बरनि पवनसुत कीरति नीकी ॥ ॥ आरती श्री रामायण जी की..॥ गावत बेद पुरान अष्टदस । छओं शास्त्र सब ग्रंथन को रस ॥ मुनि जन धन संतान को … Read more

रघुवर श्री रामचन्द्र जी आरती (Raghuvar Shri Ramchandra Ji)

रघुवर श्री रामचन्द्र जी आरती (Raghuvar Shri Ramchandra Ji)

श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से की जाने वाली आरती।आरती कीजै श्री रघुवर जी की, सत चित आनन्द शिव सुन्दर की॥ दशरथ तनय कौशल्या नन्दन, सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन॥ अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन, मर्यादा पुरुषोत्तम वर की॥ निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि, सकल … Read more

स्वामीनारायण आरती (Swaminarayan Arti)

स्वामीनारायण आरती (Swaminarayan Arti)

श्री स्वामीनारायण आरती प्रतिदिन सभी BAPS मंदिरों में तथा भक्ति भाव से भरे अनगिनत घरों में और विशेष अवसरों पर गाई जाती है। यह आरती उपासकों के ह्रदय को अक्षरपुरूषोत्तम प्रभु के दिव्य रूपों की महिमा की याद दिलाती है। श्री स्वामीनारायण आरती के बोल हिंदी में इस प्रकार से हैं..जय स्वामीनारायण, जय अक्षरपुरुषोत्तम, अक्षरपुरुषोत्तम … Read more

माँ सरस्वती वंदना – या कुन्देन्दुतुषारहारधवला (Maa Saraswati Vandana)

माँ सरस्वती वंदना - या कुन्देन्दुतुषारहारधवला (Maa Saraswati Vandana)

त्योहार सरस्वती पूजा, वसंत पंचमी व केंद्रीय विद्यालयों, सरस्वती शिशु मंदिर, डी ए वी स्कूल मे गायी जाने वाली लोकप्रिय प्रार्थना।या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता, या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना । या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता, सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥१॥ शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं, वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌ । हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌, वन्दे … Read more

आरती सरस्वती जी: ओइम् जय वीणे वाली (Saraswati Om Jai Veene Wali)

आरती सरस्वती जी: ओइम् जय वीणे वाली (Saraswati Om Jai Veene Wali)

ओइम् जय वीणे वाली, मैया जय वीणे वाली ऋद्धि-सिद्धि की रहती, हाथ तेरे ताली ऋषि मुनियों की बुद्धि को, शुद्ध तू ही करती स्वर्ण की भाँति शुद्ध, तू ही माँ करती॥ 1 ॥ज्ञान पिता को देती, गगन शब्द से तू विश्व को उत्पन्न करती, आदि शक्ति से तू॥ 2 ॥ हंस-वाहिनी दीज, भिक्षा दर्शन की … Read more

नर्मदा आरती (Narmada Aarti)

नर्मदा आरती (Narmada Aarti)

ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनंद कन्दी । ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा शिव हर‍ि शंकर, रुद्रौ पालन्ती ॥ ॥ ॐ जय जगदानन्दी..॥देवी नारद सारद तुम वरदायक, अभिनव पदण्डी । सुर नर मुनि जन सेवत, सुर नर मुनि… शारद पदवाचन्ती । ॥ ॐ जय जगदानन्दी..॥ देवी धूमक वाहन राजत, वीणा वाद्यन्ती। झुमकत-झुमकत-झुमकत, झननन झमकत रमती राजन्ती … Read more

श्री ललिता माता की आरती (Shri Lalita Mata Ki Aarti)

गाय माता! और दिव्य मिठास वाला गुड़ (Gay Mata Aur Divy Mithas Wala Gud)

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी । राजेश्वरी जय नमो नमः ॥करुणामयी सकल अघ हारिणी । अमृत वर्षिणी नमो नमः ॥ जय शरणं वरणं नमो नमः । श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी ॥ अशुभ विनाशिनी, सब सुख दायिनी । खल-दल नाशिनी नमो नमः ॥ भण्डासुर वधकारिणी जय माँ । करुणा कलिते नमो नम: ॥ जय शरणं वरणं नमो … Read more

हवन-यज्ञ प्रार्थना: पूजनीय प्रभो हमारे (Hawan Prarthana: Pujniya Prabhu Hamare)

हवन-यज्ञ प्रार्थना: पूजनीय प्रभो हमारे (Hawan Prarthana: Pujniya Prabhu Hamare)

पूजनीय प्रभो हमारे, भाव उज्जवल कीजिये । छोड़ देवें छल कपट को, मानसिक बल दीजिये ॥ १॥वेद की बोलें ऋचाएं, सत्य को धारण करें । हर्ष में हो मग्न सारे, शोक-सागर से तरें ॥ २॥ अश्व्मेधादिक रचायें, यज्ञ पर-उपकार को । धर्मं- मर्यादा चलाकर, लाभ दें संसार को ॥ ३॥ नित्य श्रद्धा-भक्ति से, यज्ञादि हम … Read more

श्री चित्रगुप्त आरती (Shri Chitragupt Aarti)

श्री चित्रगुप्त आरती (Shri Chitragupt Aarti)

भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती ॐ जय चित्रगुप्त हरे, स्वामीजय चित्रगुप्त हरे । भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे॥विघ्न विनाशक मंगलकर्ता, सन्तनसुखदायी । भक्तों के प्रतिपालक, त्रिभुवनयश छायी ॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥ रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत, पीताम्बरराजै । मातु इरावती, दक्षिणा, वामअंग साजै ॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥ कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक, प्रभुअंतर्यामी … Read more