धर्मराज आरती – ॐ जय धर्म धुरन्धर (Dharmraj Ki Aarti – Om Jai Dharm Dhurandar)
ॐ जय जय धर्म धुरन्धर, जय लोकत्राता । धर्मराज प्रभु तुम ही, हो हरिहर धाता ॥जय देव दण्ड पाणिधर यम तुम, पापी जन कारण । सुकृति हेतु हो पर तुम, वैतरणी ताराण ॥2॥ न्याय विभाग अध्यक्ष हो, नीयत स्वामी । पाप पुण्य के ज्ञाता, तुम अन्तर्यामी ॥3॥ दिव्य दृष्टि से सबके, पाप पुण्य लखते । … Read more