बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के विषय में मान्यता है कि, भगवान बद्रीविशाल जी के महाभिषेक के लिए तिल का तेल का प्रयोग किया जाता है। इस तेल को टिहरी राजदरबार में सुहागिन महिलाओं द्वारा विशेष पोशाक पहन कर तैरार करने के उपरांत डिम्मर गांव के डिमरी आचार्यों द्वारा लाए गए कलश में भर दिया जाता है जिसे गाड़ू घड़ा कहते हैं।
इसी कलश को श्री बद्रीनाथ पहुंचाने की प्रक्रिया गाडू घड़ा कलश यात्रा कहलाती है। जोशीमठ पहुंचने के उपरांत आदि गुरु शंकराचार्य की डोली भी इसी यात्रा के साथ योग ध्यान बद्री पाण्डुकेश्वर पहुंचती है। पाण्डुकेश्वर पहुंचने के उपरांत योग ध्यान बद्री में शीतकालीन प्रवास हेतु विराजमान भगवान उद्धवजी एवं भगवान कुबेरजी की डोली, शंकराचार्यजी की डोली। गाडू घड़ा कलश यात्रा के साथ श्री बद्रीनाथजी के धाम के पहुंचती है।
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने का समय मुहूर्त जानें
बृहस्पतिवार 27 अप्रैल को प्रात: 7 बजकर 10 मिनट पर खुलेंगे श्री बदरीनाथ धाम के कपाट।
•24 अप्रैल को गरुड़जी का बदरीनाथ धाम प्रस्थान अर्थात गरूड़ छाड़ मेला जोशीमठ में श्री नृसिंह मंदिर मार्ग में आयोजित हुआ।
• 24 अप्रेल को डिमरी पंचायत श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर डिम्मर से गाडू घड़ा तेलकलश लेकर श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचा।
• 25 अप्रैल को आदि गुरु शंकराचार्यजी की गद्दी के साथ रावल श्री ईश्वर प्रसाद नंबूदरीजी के साथ गाडू घड़ा श्री योग बदरी पांडुकेश्वर रात्रि प्रवास हेतु पहुंचे।
• 26 अप्रैल शाम तक आदि गुरु शंकराचार्यजी की गद्दी, श्री रावल जी, गाडू घड़ा, पांडुकेश्वर योग बदरी से श्री उद्धवजी, श्री कुबेरजी सहित श्री बदरीनाथ धाम पहुंच रहे हैं।
• बृहस्पतिवार 27 अप्रैल को प्रात: 7 बजकर 10 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं को दर्शनार्थ खुलेंगे।