लक्ष्मीजी आरती (Laxmi Mata Aarti)

लक्ष्मीजी आरती  (Laxmi Mata Aarti)

भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माता लक्ष्मी का आह्वान भक्तजन साप्ताहिक दिन शुक्रवार, गुरुवार, वैभव लक्ष्मी व्रत तथा दीपावली में लक्ष्मी पूजन के दिन मुख्यतया अधिक करते हैं, जिसके अंतरगत भक्त माँ लक्ष्मी की आरती करने है।महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि । हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥ पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे । सर्वभूत हितार्थाय, वसु … Read more

हर ग्यारस खाटू में अमृत जो बरसता है – भजन (Har Gyaras Khatu Me Amrit Jo Barasta Hai)

हर ग्यारस खाटू में अमृत जो बरसता है - भजन (Har Gyaras Khatu Me Amrit Jo Barasta Hai)

हर ग्यारस खाटू में, अमृत जो बरसता है, उस अमृत को पीने, हर भक्त पहुँचता है, हर ग्यारस खाटु में, अमृत जो बरसता है ॥यहाँ भजनों की गंगा, अमृत सी बहती है, सबके दिल की बातें, बाबा से कहती है, इन बूंदों को पीकर, हर भक्त थिरकता है, उस अमृत को पीने, हर भक्त पहुँचता … Read more

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 20 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 20)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 22 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 22)

माँ शारदा की प्रेरणा, स्वयं सहाय । कार्तिक माहात्म का लिखूं, यह बीसवाँ अध्याय ॥ अब राजा पृथु ने पूछा – हे देवर्षि नारद! इसके बाद युद्ध में क्या हुआ तथा वह दैत्य जलन्धर किस प्रकार मारा गया, कृपया मुझे वह कथा सुनाइए। नारद जी बोले – जब गिरिजा वहां से अदृश्य हो गईं और … Read more

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् – अयि गिरिनन्दिनि (Mahishasura Mardini Stotram – Aigiri Nandini)

महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि (Mahishasura Mardini Stotram - Aigiri Nandini)

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते । भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥ अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते । … Read more

श्री महालक्ष्मी चालीसा (Shri Mahalakshmi Chalisa)

श्री महालक्ष्मी चालीसा (Shri Mahalakshmi Chalisa)

॥ दोहा ॥ जय जय श्री महालक्ष्मी,करूँ मात तव ध्यान। सिद्ध काज मम किजिये,निज शिशु सेवक जान॥॥ चौपाई ॥ नमो महा लक्ष्मी जय माता।तेरो नाम जगत विख्याता॥ आदि शक्ति हो मात भवानी।पूजत सब नर मुनि ज्ञानी॥ जगत पालिनी सब सुख करनी।निज जनहित भण्डारण भरनी॥ श्वेत कमल दल पर तव आसन।मात सुशोभित है पद्मासन॥ श्वेताम्बर अरू … Read more

बिल्वमंगल जी द्वारा अपनी आँखें फोड़ना – सत्य कथा (Bilvamangal Ji Dwara Apni Ankhen Phodana)

भक्तमाल कथा: गुलबर्गा जिले के गाँव में ब्राह्मण श्री रामदास जी का एक पुत्र रहता था, उसका नाम बिल्वमंगल था। महाकामी बिल्वमंगल अपनी पत्नी होते हुए भी एक दूसरे गाँव की दुश्चरित्रा स्त्री के फंदे में बुरी तरह फस गया था। दोनों गाँव के बीच बड़ी नदी थी और वह युवक प्रतिदिन एक छोटी सी … Read more

आयुध पूजा (Ayudha Puja)

आयुध पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत और देवी दुर्गा द्वारा राक्षस महिषासुर के विनाश के उत्सव का प्रतीक है। इसे नवरात्रि उत्सव के हिस्से के रूप में मनाया जाता है। आयुध पूजा के लिए, देवी सरस्वती, पार्वती माता और लक्ष्मी देवी को पूजा जाता है। दक्षिण भारत में विश्वकर्मा पूजा के समान लोग अपने … Read more

ॐ जय जगदीश हरे आरती (Aarti: Om Jai Jagdish Hare)

ॐ जय जगदीश हरे आरती (Aarti: Om Jai Jagdish Hare)

दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा सन् १८७० में लिखी गई थी। यह आरती मूलतः भगवान विष्णु को समर्पित है फिर भी इस आरती को किसी भी पूजा, उत्सव पर गाया / सुनाया जाता हैं। कुछ भक्तों का मानना है कि इस आरती का मनन करने से … Read more

खाटू वाले श्याम हमारे: भजन (Khatu Wale Shyam Hamare)

खाटू वाले श्याम हमारे: भजन (Khatu Wale Shyam Hamare)

खाटू वाले श्याम हमारे, भक्तों के तू काज संवारे, गिरते हुए को, पल में संभाले तू, सांवरे सांवरे सांवरे सांवरे ॥जिसने भी चौखट पे अर्जी लगाई, पल भर में बाबा ने कर ली सुनाई, तेरी महिमा तू ही जाने, हम तो हो गए तेरे दीवाने, रखना तू हम पर दया, खाटू वालें श्याम हमारे, भक्तों … Read more

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 19 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 19)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 19 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 19)

श्री विष्णु मम् हृदय में, प्रेरणा करने वाले नाथ । लिखूँ माहात्म कार्तिक, राखो सिर पर हाथ ॥राजा पृथु ने पूछा – हे नारद जी! अब आप यह कहिए कि भगवान विष्णु ने वहाँ जाकर क्या किया तथा जलन्धर की पत्नी का पतिव्रत किस प्रकार भ्रष्ट हुआ? नारद जी बोले – जलन्धर के नगर में … Read more