सिय राम मय सब जग जानी – प्रेरक कहानी (Siy Ram May Sab Jag Jani)

गाय माता! और दिव्य मिठास वाला गुड़ (Gay Mata Aur Divy Mithas Wala Gud)

तुलसीदास जी जब रामचरितमानस लिख रहे थे, तो उन्होंने एक चौपाई लिखी: सिय राम मय सब जग जानी, करहु प्रणाम जोरी जुग पानी ॥अर्थात: पूरे संसार में श्री राम का निवास है, सबमें भगवान हैं और हमें उनको हाथ जोड़कर प्रणाम कर लेना चाहिए। चौपाई लिखने के बाद तुलसीदास जी विश्राम करने अपने घर की … Read more

राधाष्टमी विशेषांक 2024 (Radha Ashtami Special)

राधाष्टमी विशेषांक 2024 (Radha Ashtami Special)

राधा अष्टमी देवी राधा रानी को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह उनकी जयंती का प्रतीक है और विशेष रूप से उत्तर भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। राधा जी को देवी लक्ष्मी का अवतार और भगवान कृष्ण की प्रेमिका माना जाता है। यह त्योहार प्रार्थना, उपवास, कीर्तन और भजन के … Read more

छठ पूजा: कांच ही बांस के बहंगिया (Chhath: Kanch Hi Bans Ke Bahangiya)

छठ पूजा: कांच ही बांस के बहंगिया (Chhath: Kanch Hi Bans Ke Bahangiya)

कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय बहंगी लचकत जाय होई ना बलम जी कहरिया, बहंगी घाटे पहुंचायकांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय बहंगी लचकत जाय बाट जे पूछेला बटोहिया, बहंगी केकरा के जाय बहंगी केकरा के जाय तू तो आन्हर होवे रे बटोहिया, बहंगी छठ मैया के जाय बहंगी छठ मैया … Read more

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 11 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 11)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 11 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 11)

एक बार सागर पुत्र जलन्धर अपनी पत्नी वृन्दा सहित असुरों से सम्मानित हुआ सभा में बैठा था तभी गुरु शुक्राचार्य का वहाँ आगमन हुआ। उनके तेज से सभी दिशाएँ प्रकाशित हो गई। गुरु शुक्राचार्य को आता देखकर सागर पुत्र जलन्धर ने असुरों सहित उठकर बड़े आदर से उन्हें प्रणाम किया। गुरु शुक्राचार्य ने उन सबको … Read more

दशरथकृत शनि स्तोत्र (Dashratha Shani Sotra)

गाय माता! और दिव्य मिठास वाला गुड़ (Gay Mata Aur Divy Mithas Wala Gud)

दशरथ उवाच: प्रसन्नो यदि मे सौरे ! एकश्चास्तु वरः परः ॥रोहिणीं भेदयित्वा तु न गन्तव्यं कदाचन् । सरितः सागरा यावद्यावच्चन्द्रार्कमेदिनी ॥ याचितं तु महासौरे ! नऽन्यमिच्छाम्यहं । एवमस्तुशनिप्रोक्तं वरलब्ध्वा तु शाश्वतम् ॥ प्राप्यैवं तु वरं राजा कृतकृत्योऽभवत्तदा । पुनरेवाऽब्रवीत्तुष्टो वरं वरम् सुव्रत ॥ दशरथकृत शनि स्तोत्र: नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च । नम: कालाग्निरूपाय … Read more

विश्वकर्मा चालीसा (Vishwakarma Chalisa)

गाय माता! और दिव्य मिठास वाला गुड़ (Gay Mata Aur Divy Mithas Wala Gud)

॥ दोहा ॥ श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरणकमल धरिध्यान । श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान ॥॥ चौपाई ॥ जय श्री विश्वकर्म भगवाना । जय विश्वेश्वर कृपा निधाना ॥ शिल्पाचार्य परम उपकारी । भुवना-पुत्र नाम छविकारी ॥ अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर । शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर ॥ अद्‍भुत सकल सृष्टि के कर्ता । सत्य … Read more

अम्बे तू है जगदम्बे काली: माँ दुर्गा, माँ काली आरती (Maa Durga Maa Kali Aarti)

अम्बे तू है जगदम्बे काली: माँ दुर्गा, माँ काली आरती (Maa Durga Maa Kali Aarti)

माँ दुर्गे का साप्ताहिक दिन शुक्रवार, दोनों नवरात्रि, अष्टमी, माता की चौकी एवं जगराते में सबसे अधिक गाई जाने वाली आरती।अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली । तेरे ही गुण गाये भारती, ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥ तेरे भक्त जनो पर, भीर पडी है भारी माँ । दानव दल … Read more

कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? – प्रेरक कहानी (Kabhi Kabhi Bhakti Karane Ko Man Nahin Karata)

गाय माता! और दिव्य मिठास वाला गुड़ (Gay Mata Aur Divy Mithas Wala Gud)

एक बार तुलसीदास जी से एक भक्त ने पूछा: कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता फिर भी नाम जपने के लिये बैठ जाते है, क्या उसका भी कोई फल मिलता है?तुलसी दास जी ने मुस्करा कर कहा: तुलसी मेरे राम को, रीझ भजो या खीज। भौम पड़ा जामे सभी, उल्टा सीधा बीज॥ अर्थात्: भूमि … Read more

भाद्रपद 2024 (Bhadrapada 2024)

गाय माता! और दिव्य मिठास वाला गुड़ (Gay Mata Aur Divy Mithas Wala Gud)

भाद्रपद माह हिन्दु कैलेण्डर में छठवाँ चन्द्र महीना है। जो भाद्र या भाद्रपद या भादो या भाद्रव के नाम से भी जाना जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह अगस्त और सितंबर में आता है। भारत के राष्ट्रीय नागरिक कैलेंडर में, भद्रा वर्ष का छठा महीना है। वैदिक ज्योतिष में, भद्रा सूर्य के सिंह … Read more

छठ पूजा: मारबो रे सुगवा – छठ पूजा गीत (Marbo Re Sugwa Dhanukh Se Chhath Puja Song)

छठ पूजा: मारबो रे सुगवा - छठ पूजा गीत (Marbo Re Sugwa Dhanukh Se Chhath Puja Song)

ऊ जे केरवा जे फरेला# खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए+। मारबो^ रे सुगवा** धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ।ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित* होई ना सहाय ॥ ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए । मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए । ऊ जे सुगनी … Read more