पूर्णब्रह्म स्तोत्रम् (Purnabramha Stotram)
पूर्णचन्द्रमुखं निलेन्दु रूपम् उद्भाषितं देवं दिव्यं स्वरूपम् पूर्णं त्वं स्वर्णं त्वं वर्णं त्वं देवम् पिता माता बंधु त्वमेव सर्वम् जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् ॥ १ ॥ कुंचितकेशं च संचितवेशम् वर्तुलस्थूलनयनं ममेशम् पिनाकनीनाका नयनकोशम् आकृष्ट ओष्ठं च उत्कृष्ट श्वासम् जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् ॥ २ ॥ नीलाचले चंचलया … Read more