पूर्णब्रह्म स्तोत्रम् (Purnabramha Stotram)

पूर्णब्रह्म स्तोत्रम् (Purnabramha Stotram)

पूर्णचन्द्रमुखं निलेन्दु रूपम् उद्भाषितं देवं दिव्यं स्वरूपम् पूर्णं त्वं स्वर्णं त्वं वर्णं त्वं देवम् पिता माता बंधु त्वमेव सर्वम् जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् ॥ १ ॥ कुंचितकेशं च संचितवेशम् वर्तुलस्थूलनयनं ममेशम् पिनाकनीनाका नयनकोशम् आकृष्ट ओष्ठं च उत्कृष्ट श्वासम् जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् जगन्नाथ स्वामी भक्तभावप्रेमी नमाम्यहम् ॥ २ ॥ नीलाचले चंचलया … Read more

गोपाल चालीसा (Gopal Chalisa)

गोपाल चालीसा (Gopal Chalisa)

॥ दोहा ॥ श्री राधापद कमल रज,सिर धरि यमुना कूल। वरणो चालीसा सरस,सकल सुमंगल मूल॥॥ चौपाई ॥ जय जय पूरण ब्रह्म बिहारी।दुष्ट दलन लीला अवतारी॥ जो कोई तुम्हरी लीला गावै।बिन श्रम सकल पदारथ पावै॥ श्री वसुदेव देवकी माता।प्रकट भये संग हलधर भ्राता॥ मथुरा सों प्रभु गोकुल आये।नन्द भवन में बजत बधाये॥ जो विष देन पूतना … Read more

बाबोसा आरती (Babosa Aarti)

बाबोसा आरती (Babosa Aarti)

॥ बाबोसा चूरू वाले की आरती ॥ देवा बाबोसा चूरू वाले, भक्तो के है रखवाले, रिम झिम उतारे तेरी आरती, बाबोसा रिम झिम उतारे तेरी आरती ॥सिर पे मुकुट कान में कुंडल, हाथ में सोटा साजे, जग मग जग मग रूप निराला, जग मग जग मग रूप निराला, भुत प्रेत सब भागे, जय हो माता … Read more

प्रेरक कहानी: जब पंडित जी नदी मे बह गए.. (Jab Panditji Nadhi Me Bah Gaye)

गाय माता! और दिव्य मिठास वाला गुड़ (Gay Mata Aur Divy Mithas Wala Gud)

आज गंगा पार होनेके लिए कई लोग एक नौकामें बैठे, धीरे-धीरे नौका सवारियों के साथ सामने वाले किनारे की ओर बढ़ रही थी, एक पंडित जी भी उसमें सवार थे। पंडित जी ने नाविक से पूछा क्या तुमने भूगोल पढ़ी है?भोला-भाला नाविक बोला भूगोल क्या है इसका मुझे कुछ पता नहीं। पंडितजी ने पंडिताई का … Read more

जन्माष्टमी विशेषांक 2024 (Janmashtami Specials)

जन्माष्टमी विशेषांक 2024 (Janmashtami Specials)

अर्ध रात्रि को मनाए जाने वाला, ब्रजभूमि अर्थात मथुरा-वृंदावन एवं भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़े पवित्र क्षेत्र का सबसे धूम-धाम वाले महोत्सव श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्साह ब्रज क्षेत्र के अलावा सारे देश मे भी देखते ही बनता है। आइए जानें! श्री कृष्ण जन्माष्टमी से जुड़ी कुछ जानकारियाँ, प्रसिद्ध भजन एवं सम्वन्धित … Read more

छोटी सी मेरी पार्वती, शंकर की पूजा करती थी – भजन (Choti Si Meri Parvati Shankar Ki Puja Karti Thi)

छोटी सी मेरी पार्वती, शंकर की पूजा करती थी - भजन (Choti Si Meri Parvati Shankar Ki Puja Karti Thi)

छोटी सी मेरी पार्वती, शंकर की पूजा करती थी, निर्जल रहकर निश्छल मन से, नित ध्यान प्रभू का धरती थी, छोटी सी मेरी पारवती, शंकर की पूजा करती थी ॥नित गंगा जमुना जाती थी, जल भर भर कर वो लाती थी, निर्जल रहकर निश्छल मन से, नित ध्यान प्रभू का धरती थी, छोटी सी मेरी … Read more

मंगलवार व्रत कथा (Mangalwar Vrat Katha)

मंगलवार व्रत कथा (Mangalwar Vrat Katha)

एक समय की बात है एक ब्राह्मण दंपत्ति की कोई संतान नहीं थी, जिस कारण वह बेहद दुःखी थे। एक समय ब्राह्मण वन में हनुमान जी की पूजा के लिए गया। वहाँ उसने पूजा के साथ महावीर जी से एक पुत्र की कामना की।घर पर उसकी स्त्री भी पुत्र की प्राप्ति के लिए मंगलवार का … Read more

तुलसी विवाह मंगलाष्टक (Tulsi Mangalashtak)

तुलसी विवाह मंगलाष्टक (Tulsi Mangalashtak)

॥ अथ मंगलाष्टक मंत्र ॥ ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः। चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः । प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः, स्वामी शक्तिधरश्च लांगलधरः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥1गंगा गोमतिगोपतिगर्णपतिः, गोविन्दगोवधर्नौ, गीता गोमयगोरजौ गिरिसुता, गंगाधरो गौतमः । गायत्री गरुडो गदाधरगया, गम्भीरगोदावरी, गन्धवर्ग्रहगोपगोकुलधराः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥2 नेत्राणां त्रितयं महत्पशुपतेः अग्नेस्तु पादत्रयं, तत्तद्विष्णुपदत्रयं त्रिभुवने, ख्यातं च रामत्रयम् … Read more

गिरिराज चालीसा (Giriraj Chalisa)

गिरिराज चालीसा (Giriraj Chalisa)

॥ दोहा ॥ बन्दहुँ वीणा वादिनी,धरि गणपति को ध्यान। महाशक्ति राधा सहित,कृष्ण करौ कल्याण॥सुमिरन करि सब देवगण,गुरु पितु बारम्बार। बरनौ श्रीगिरिराज यश,निज मति के अनुसार॥ ॥ चौपाई ॥ जय हो जय बंदित गिरिराजा।ब्रज मण्डल के श्री महाराजा॥ विष्णु रूप तुम हो अवतारी।सुन्दरता पै जग बलिहारी॥ स्वर्ण शिखर अति शोभा पामें।सुर मुनि गण दरशन कूं आमें॥ … Read more

आरती युगलकिशोर की कीजै (Aarti Shri Yugal Kishoreki Keejai)

आरती युगलकिशोर की कीजै (Aarti Shri Yugal Kishoreki Keejai)

आरती युगलकिशोर की कीजै । तन मन धन न्योछावर कीजै ॥गौरश्याम मुख निरखन लीजै । हरि का रूप नयन भरि पीजै ॥ रवि शशि कोटि बदन की शोभा । ताहि निरखि मेरो मन लोभा ॥ ओढ़े नील पीत पट सारी । कुंजबिहारी गिरिवरधारी ॥ फूलन सेज फूल की माला । रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला ॥ … Read more