भारत के टॉप टेन प्रसिद्ध भजन गायक (Top Ten Famous Bhajan Singers of India)

गाय माता! और दिव्य मिठास वाला गुड़ (Gay Mata Aur Divy Mithas Wala Gud)

भजन एक प्रकार का गीत है जिसे भगवान के प्रति सम्मान और भक्ति दिखाने के लिए बजाया जाता है। भजन किसी भी भाषा में हो सकते हैं। कुछ मंत्रों का उच्चारण संगीत के रूप में किया जाता है। एक भक्ति कलाकार दुनिया भर के विभिन्न धर्मों में अथाह इतिहास या भगवान की कहानियों को याद … Read more

शिव भोला भंडारी – भजन (Shiv Bhola Bhandari)

शिव भोला भंडारी - भजन (Shiv Bhola Bhandari)

शिव भोला भंडारी,सुख का त्योहार, मिले डमरू के ताल, सुख का त्योहार, मिले डमरूके ताल, करे दुख पिडा पार जटाधारी, शिव भोला भंडारी, शिव भोला भंडारी ॥ ॐकारेश्वर… बम बम भोले, निलकंठेश्वर… बम बम भोले, केदारेश्वर… बम बम भोले, जय शिवशंकर… बम बम भोले, जय शिव शंभो… बम बम भोले, जय त्रिपुरारी… बम बम भोले, … Read more

करवा चौथ व्रत कथा: साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी (Karwa Chauth Vrat Katha)

करवा चौथ व्रत कथा: साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी (Karwa Chauth Vrat Katha)

साहूकार के सात लड़के, एक लड़की की कहानी | करवा चौथ की पौराणिक व्रत कथा श्री गणेशाय नमः ! एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि … Read more

कनकधारा स्तोत्रम्: अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती (Kanakadhara Stotram: Angam Hareh Pulaka Bhusanam Aashrayanti)

कनकधारा स्तोत्रम्: अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती (Kanakadhara Stotram: Angam Hareh Pulaka Bhusanam Aashrayanti)

धन प्राप्ति के लिए लोग प्रायः दीवाली, अक्षय तृतीया तथा नियमित पाठ के लिए शुक्रवार के दिन कनकधारा स्तोत्रम् का पाठ करते हैं।अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम् । अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः ॥१॥ मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि । माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या सा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः ॥२॥ विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षम्_ आनन्दहेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि । … Read more

श्री ब्रह्मा चालीसा (Shri Brahma Chalisa)

श्री ब्रह्मा चालीसा (Shri Brahma Chalisa)

॥ दोहा ॥ जय ब्रह्मा जय स्वयम्भू,चतुरानन सुखमूल। करहु कृपा निज दास पै,रहहु सदा अनुकूल॥तुम सृजक ब्रह्माण्ड के,अज विधि घाता नाम। विश्वविधाता कीजिये,जन पै कृपा ललाम॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय कमलासान जगमूला।रहहु सदा जनपै अनुकूला॥ रुप चतुर्भुज परम सुहावन।तुम्हें अहैं चतुर्दिक आनन॥ रक्तवर्ण तव सुभग शरीरा।मस्तक जटाजुट गंभीरा॥ ताके ऊपर मुकुट बिराजै।दाढ़ी श्वेत महाछवि … Read more

शिव आरती – ॐ जय गंगाधर (Shiv Aarti – Om Jai Gangadhar)

शिव आरती - ॐ जय गंगाधर (Shiv Aarti - Om Jai Gangadhar)

ॐ जय गंगाधर जय हर, जय गिरिजाधीशा । त्वं मां पालय नित्यं, कृपया जगदीशा ॥ ॐ हर हर हर महादेव ॥कैलासे गिरिशिखरे, कल्पद्रुमविपिने । गुंजति मधुकरपुंजे, कुंजवने गहने ॥ ॐ हर हर हर महादेव ॥ कोकिलकूजित खेलत, हंसावन ललिता । रचयति कलाकलापं, नृत्यति मुदसहिता ॥ ॐ हर हर हर महादेव ॥ तस्मिंल्ललितसुदेशे, शाला मणिरचिता । … Read more

कर्म का भोग कैसे भोगते हैं? – प्रेरक कहानी (Karm Ka Bhog Kaise Bhogte Hain)

गाय माता! और दिव्य मिठास वाला गुड़ (Gay Mata Aur Divy Mithas Wala Gud)

एक गाँव में एक किसान रहता था उसके परिवार में उसकी पत्नी और एक लड़का था। कुछ सालों के बाद पत्नी की मृत्यु हो गई उस समय लड़के की उम्र दस साल थी।किसान ने दूसरी शादी कर ली। उस दूसरी पत्नी से भी किसान को एक पुत्र प्राप्त हुआ। किसान की दूसरी पत्नी की भी … Read more

कांवर यात्रा की परंपरा किसने शुरू की? (Who started the tradition of Kanwar Yatra?)

कांवर यात्रा की परंपरा किसने शुरू की? (Who started the tradition of Kanwar Yatra?)

सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बहुत खास होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार पांचवां महीना सावन है। इसी महीने से कांवर यात्रा भी शुरू होती है। शिव भक्तों के लिए कावड़ यात्रा किसी तीर्थ यात्रा से कम नहीं है। हर साल सावन शिवरात्रि पर लाखों की संख्या में कांवडिये हरिद्वार से पैदल पवित्र … Read more

मैं शिव का हूँ शिव मेरे है: भजन (Main Shiv Ka Hu Shiv Mere Hai)

मैं शिव का हूँ शिव मेरे है: भजन (Main Shiv Ka Hu Shiv Mere Hai)

मैं शिव का हूँ शिव मेरे है, मैं और क्या मांगू शंकर से, मेरे मन में उनके डेरे है, मैं और क्या मांगू शंकर से, मैं शिव का हूँ शिव मेरे हैं, मैं और क्या मांगू शंकर से ॥मैंने बहुत बार खायी ठोकर, गिरते को संभाला है उसने, औकात मेरी से ऊपर ही, कितना कुछ … Read more

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 4 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 4)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 4 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 4)

नारदजी ने कहा: ऎसा कहकर भगवान विष्णु मछली का रूप धारण कर के आकाश से जल में गिरे। उस समय विन्ध्याचल पर्वत पर तप कर रहे महर्षि कश्यप अपनी अंजलि में जल लेकर खड़े थे। भगवान उनकी अंजलि में जा गिरे। महर्षि कश्यप ने दया कर के उसे अपने कमण्डल में रख लिया। मछली के … Read more