हिंदू धर्म में पूजा से पहले संकल्प क्यों लिया जाता है? (Why Sankalpa taken before worship in Hinduism?)

अगर भगवान की पूजा विधि-विधान और सच्चे मन से की जाए तो मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं। किसी भी देवता या विशेष प्रयोजन के लिए की जाने वाली पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लिया जाता है। बिना संकल्प के पूजा सफल नहीं मानी जाती है। हिंदू धर्म में पूजा में संकल्प लेने की क्या उपयोगिता है।संकल्प का अर्थ क्या है?
संकल्प का सामान्य अर्थ है किसी कार्य को करने का दृढ़ निश्चय करना। हिंदू धर्म में परंपरा है कि किसी भी तरह की पूजा, अनुष्ठान या शुभ कार्य करने से पहले संकल्प लेना बहुत जरूरी होता है। संकल्प के बिना कोई भी पूजा या शुभ कार्य अधूरा माना जाता है। पुराणों के अनुसार बिना संकल्प के पूजा करने से भगवान इंद्र को सभी फल प्राप्त होते हैं। इसलिए किसी भी तरह की पूजा में पंडित संकल्प कराना नहीं भूलते।

कैसे लिया जाता है संकल्प?
● किसी भी तरह की पूजा बिना संकल्प लिए कभी भी पूरी नहीं मानी जाती। साथ ही पूजा का पूरा फल नहीं मिलता है। पूजा में संकल्प लेने का मतलब है अपने इष्ट देवता और खुद को साक्षी मानकर पूजा को पूरा करना।

● भगवान गणेश के सामने संकल्प लिया जाता है ताकि पूजा में किसी भी प्रकार की कोई बाधा न आए और पूजा संपन्न हो जाए। संकल्प लेते समय हाथ में जल लेकर पांच तत्वों अग्नि, पृथ्वी, आकाश, वायु और जल को साक्षी माना जाता है। एक बार संकल्प लेने के बाद पूजा करना जरूरी है।

संकल्प लेने के बाद पूजा कैसे करें?
● किसी भी पूजा, अनुष्ठान या शुभ कार्य में भगवान गणेश को सबसे पहले पूजा स्थल पर विराजमान किया जाता है।
● पूजा हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए। पूर्व दिशा में भगवान का वास होता है।
● पूजा पूरी करने से पहले पूजा सामग्री अलग रख लें। ताकि पूजा शुरू होने में अनावश्यक व्यवधान न हो।
● यदि किसी कारणवश भगवान गणेश की मूर्ति उपलब्ध न हो तो ऐसी स्थिति में एक सुपारी पर कलावा लपेटकर, चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसकी स्थापना करनी चाहिए।