युवक हैरान था कि उसकी समस्या का समाधान और कुत्ते को टहलाने में क्या संबंध हो सकता है। लेकिन स्वामीजी की बात मानकर वह कुत्ते को लेकर टहलाने निकल गया। लगभग एक-डेढ़ घंटे तक कुत्ते को टहलाने के बाद युवक आश्रम में लौटा। आश्रम में स्वामी जी एक जगह बैठे थे। उन्होंने देखा कि युवक के चेहरे पर थकावट नहीं है, पर कुत्ता जोर-जार से हांफ रहा है। स्वामी जी ने युवक से पूछा, ‘तुम्हारे चेहरे पर तो थकावट नहीं दिख रही है, पर ये कुत्ता इतना हांफ क्यों रहा है?’ युवक ने जवाब दिया, ‘स्वामी जी, मैं तो इसके पीछे-पीछे चल रहा था। पर यह कभी इधर भागता था, कभी उधर। कभी किसी का पीछा करता था, तो कभी किसी के ऊपर भौंकता था। यह दौड़ते-दौड़ते थक गया।’
स्वामी जी ने युवक से कहा, ‘देखो, इसी में तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है। दूसरों का पीछा करते हुए, इधर-उधर भागते हुए तुम थक गए हो। तुम्हें क्या करना है, यह तुम्हें पता होना चाहिए। ज्यादा भागदौड़ से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। तुम्हारी सफलता तुम्हारे आसपास ही है। तुम्हें अपनी क्षमता पहचानकर लक्ष्य पर सारी ऊर्जा केंद्रित कर काम में लग जाना होगा। तुम्हें सफलता अवश्य मिलेगी।’ युवक स्वामी जी के उत्तर से संतुष्ट था।- संकलन : दिलीप लाल