सुकरात का चेहरा देख ज्योतिषी ने सब सही बताया, बस बुद्धि न देख सके

संकलन: मुकेश शर्मा

यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात एक बार अपने शिष्यों के साथ किसी महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा में व्यस्त थे। उसी समय एक ज्योतिषी वहां आया। सुकरात ने उसका समुचित सत्कार करने के बाद पूछा कि कैसे आना हुआ। ज्योतिषी ने कहा, वह इधर से गुजर रहा था, उन लोगों को वहां बैठे देख जिज्ञासावश आ गया। इसके बाद ज्योतिषी ने सुकरात से पूछा कि उनकी क्या खासियत है? सुकरात ने कहा, ‘खुद में तो मुझे कोई खासियत नहीं दिखी आज तक, लेकिन मैं जानना चाहूंगा कि आपमें क्या खासियत है?’ ज्योतिषी ने थोड़े गर्व के साथ बताया, ‘मैं किसी का भी चेहरा देखकर बता सकता हूं कि उस व्यक्ति में कौन से गुण-अवगुण हैं।’

सुकरात का संकेत पाकर एक शिष्य ने ज्योतिषी से कहा कि वह सुकरात का चेहरा देख उनकी विशेषताएं बताएं। सुकरात अच्छे दार्शनिक थे, लेकिन वे बदसूरत थे। ज्योतिषी सुकरात के चेहरे को देखकर कहने लगा, ‘इसके नथुनों की बनावट बता रही हैं कि इस व्यक्ति में क्रोध की भावना बहुत प्रबल हैं।’ उसने आगे कहा, ‘इसके माथे और सिर की आकृति के कारण यह व्यक्ति निश्चत रूप से लालची होगा। इसकी ठोड़ी की रचना कहती है कि यह बिल्कुल सनकी है। इसके होठों और दांतों की बनावट बताती है कि यह सबको देशद्रोह करने के लिए प्रेरित करता रहता है।’

अब शिष्यों का धैर्य जवाब देने लगा था। मगर इससे पहले कि कोई और कुछ बोले, सुकरात ने ज्योतिषी को धन्यवाद देते हुए वापस भेज दिया। ज्योतिषी के जाने के बाद सुकरात ने शिष्यों की जिज्ञासा शांत करते हुए कहा, ‘सत्य को दबाना नहीं चाहिए। ज्योतिषी के बताए सभी दुर्गुण मेरे अंदर हैं। ज्योतिषी से भूल यह हुई कि उसने मेरी विवेक शक्ति पर जरा भी ध्यान नहीं दिया। मैं अपनी विवेक शक्ति से इन सभी दुर्गुणों पर अंकुश लगाए रखता हूं।’