सच्चा प्रेम स्तुति से नहीं

सुंदरता के साथ अच्छे गुण हैं तो वह हृदय का स्वर्ग है, लेकिन यदि उसके साथ दुर्गुण हैं तो वह आत्मा का नरक है। -क्वार्ल्स

अच्छी सम्मति स्वीकार करना अपनी योग्यता को बढ़ाना ही है। -शेक्सपियर

किसी सुंदर वाक्य के निर्माता के बाद उसकी बारी आती है जो उसका इस्तेमाल करता है। -एमर्सन

जनता के पास जिस भाव से जाएंगे, वही उससे पाएंगे।
-विनोबा भावे

मानव जीवन में सच्चा प्रेम स्तुति से नहीं, सेवा से प्रकट होता है।
-महात्मा गांधी