समर्पण और विश्वास की शक्ति
‘श्री कृष्ण चरित मानस (रसायन महाकाव्य)’ की एक प्रमुख शिक्षा है कि ईश्वरीय इच्छा के समक्ष समर्पण करना, यानी जीवन की चुनौतियों को एक अवसर के रूप में लेना, जो हमें परम शक्ति में और अधिक विश्वास करने का अवसर देती है। अनिश्चितता के समय में, भय के समक्ष झुकने के बजाय, भगवान श्री कृष्ण हमें हर स्थिति में विश्वास रखने और हर बाधा को एक दिव्य योजना का हिस्सा मानने का आग्रह करते हैं, जो हमें शांति और संतोष की ओर ले जाती है। जैसे ही हम 2025 में कदम रख रहे हैं, आइए इस शिक्षा को अपनाएं और परिणाम से अपनी आसक्ति को छोड़कर यात्रा का आनंद लें। चाहे वह नया करियर हो, नया संबंध हो, या व्यक्तिगत लक्ष्य, विजय और संघर्ष दोनों में श्री कृष्ण की कृपा पर विश्वास करें। यह समर्पण निष्क्रिय नहीं है; यह जीवन के दिव्य प्रवाह के साथ तालमेल बिठाने का सक्रिय निर्णय है।
उद्देश्यपूर्ण जीवन जीना
‘श्री कृष्ण चरित मानस (रसायन महाकाव्य)’ का एक और गहरा संदेश है कि एक उद्देश्यपूर्ण जीवन जिया जाए, जो धर्म में निहित हो। श्री कृष्ण का जीवन कर्तव्य और भक्ति के बीच संतुलन को दर्शाता है। अर्जुन को सिखाते हुए, श्री कृष्ण ने उन्हें यह समझाया कि किसी भी चीज़ से आसक्त हुए बिना अपने कर्तव्य में व्यस्त रहना ही जीवन का मूल उद्देश्य है। यह शिक्षा विशेष रूप से प्रासंगिक है जब हम आने वाले वर्ष के लिए अपने लक्ष्यों को निर्धारित करते हैं। भौतिक उपलब्धियों के लिए जीने के बजाय, आइए हम खुद से पूछें: क्या मेरे कार्य मेरे उच्च उद्देश्य के साथ संगत हैं? चाहे वह हमारा कार्य हो, संबंध हों, या समाज के प्रति सेवा, 2025 वह वर्ष बन सकता है, जिसमें हम हर कार्य में अर्थ और ईमानदारी भरें।
नई शुरुआत में कृपा
नई शुरुआत का अर्थ अतीत को मिटाना नहीं है, बल्कि इसे आध्यात्मिक रूप से विकसित होने के सबक के रूप में लेना है। ‘श्री कृष्ण चरित मानस (रसायन महाकाव्य)’ में श्री कृष्ण का जीवन हमें दिखाता है कि जब हम विनम्रता और साहस के साथ परिवर्तन को अपनाते हैं, तो कृपा कैसे प्रवाहित होती है। आइए 2025 का स्वागत खुले दिल से करें, और श्री कृष्ण की कृपा को हमारे मार्ग को प्रकाशित करने दें। संदेह के क्षणों में, श्री कृष्ण का नाम याद रखें; शांति वहीं है, जहां गहन ज्ञान और स्थिरता का वास है। आइए हम श्री कृष्ण की कृपा के समक्ष समर्पित होकर और अपने जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाकर एक आध्यात्मिक यात्रा शुरू करें। परिवर्तन को अपनाकर और भगवान कृष्ण के मार्ग का अनुसरण करके, हम न केवल अपने जीवन को बल्कि हमारे आसपास की दुनिया को भी रूपांतरित कर सकते हैं।
हर व्यक्ति को जीवन में एक अवसर की तलाश होती है जो अक्सर वो पहचान नहीं पाता, श्री कृष्ण चरित मानस में श्री कृष्ण अपनी बाल लीलाओं से लेकर महाभारत के युद्ध के मैदान में भी गीता जैसे दिव्य ज्ञान को प्रगट कर अर्जुन को अवसर देते हैं लक्ष्य को पहचानने का ऐसे ही सद्गुरु देव भगवान श्री जगद्गुरु प्रियदर्शी जी महाराज कहते हैं कि जीवन अवसर से भरा हुआ है बस देखने का, तरीका चाहिए वो गुरुकृपा से मिलता है फिर चाहे वो नव वर्ष हो या साल का कोई भी दिन जीव जब चाहे उस अवसर को पहचान कर अपने जीवन को बेहतर बना सकता है।
डा. कृष्ण किंकरजी महाराज