रात में जब उन्होंने चाय का हिसाब-किताब देखा तो पता चला कि उन्होंने भूलवश उस महिला को पैसे के हिसाब से कम चाय दी है। अपनी इस गलती से वह परेशान हो गए। पहले तो उन्होंने सोचा कि कल जब वह फिर आएगी तो उसे ज्यादा चाय देकर हिसाब पूरा कर लेंगे। फिर ख्याल आया कि अगर वह नहीं आई तो…। संभव है कि वह इधर कदम ही न रखे। इन्हीं विचारों की उधेड़बून में वह समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें। वह अपराधबोध से बेचैन थे। वह सोचने लगे आखिर उन्होंने उसे सही मात्रा में चाय क्यों नहीं दी? उनकी बेचैनी बढ़ती गई, वह सो नहीं पा रहे थे। एकाएक वह उठे और उन्होंने तय किया कि इसी वक्त जाकर उस महिला को बाकी चाय देकर आएंगे। आखिर उसकी चीज है, उसने उसके पैसे पूरे दिए हैं।
संयोग से लिंकन उसका घर जानते थे। उन्होंने एक हाथ में चाय की केतली और दूसरे हाथ में लालटेन लेकर निकल पड़े। महिला का घर लिंकन के घर से तीन मील दूर था। उन्होंने उस महिला के घर पहुंचकर दरवाजा खटखटाया। महिला ने दरवाजा खोला तो उन्होंने कहा, ‘क्षमा कीजिए, मैंने गलती से आपको कम चाय दे दी थी। यह लीजिए बाकी चाय।’ महिला आश्चर्य से उन्हें देखने लगी। फिर उसने कहा, ‘बेटा, तू आगे चलकर महान आदमी बनेगा।’ उसकी भविष्यवाणी सच निकली। – संकलन : ललित गर्ग