श‍िव के कोप का श‍िकार हुए थे सूर्य भी, जान‍िए कब अंधकारमय हो गई थी सृष्टि?

ब्रह्मवैवर्त पुराण में ऐसी है एक कथा

भगवान शिव कितने भोले हैं यह तो सभी जानते हैं। कभी वह शिवलिंग के ऊपर बंधे घंटे को चोरी करने वाले को अपना भक्‍त मान लेते हैं। तो कभी पेड़ पर चढ़े शिकारी के यूं ही बेलपत्र तोड़कर नीचे फेंकने को उसकी भक्ति समझ लेते हैं। यही नहीं उससे प्रसन्‍न होकर वह उसे सर्वस्‍य दे भी देते हैं। इससे इतर भोले भंडारी को यद‍ि क्रोध आ जाए तो वह कितना विकराल रूप ले लेता है। इसका उदाहरण भी धर्म शास्‍त्रों में देखने को मिलता है। 18 पुराणों में सबसे प्राचीनतम पुराण ब्रह्मवैवर्त पुराण में ऐसी ही एक कथा मिलती है जब नवग्रहों के राजाधिराज भगवान सूर्य को भी श‍िवजी के कोप का शिकार बनना पड़ा। आइए जानते हैं क्‍या है पूरी कहानी?

इसलिए आया था अवढरदानी को गुस्‍सा

मनुष्‍य, देवता या फिर दैत्‍य जो भी भगवान शिव की शरण में पहुंचता है। वह बिना किसी भेदभाव के सभी पर कृपा करते हैं। एक बार दैत्‍य माली और सुमाली भी उनकी शरण में अपनी पुकार लेकर पहुंचे। वह गंभीर शारीरिक पीड़ा से त्रस्‍त थे। सूर्य देव की अवहेलना से उन्‍हें इस व्‍याधि से भी मुक्ति नहीं मिल रही थी। अपनी करुण पुकार लेकर वह भगवान शिव की शरण में पहुंचे।

सपने में दिखें ये पशु-पक्षी तो समझ जाएं इन आदतों को तुरंत बदलने की है जरूरत

तब कश्‍यप नंदन सूर्य पर शिव ने किया प्रहार

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार भगवान शिव अपनी शरण में आए दैत्‍य माली-सुमाली की दारुण व्‍यथा सुनकर अत्‍यंत क्रोधित हुए। उन्‍होंने कश्‍यप नंदन सूर्य पर अपने त्रिशूल से प्रहार कर द‍िया। उस समय संपूर्ण लोकों को प्रकाशित करने वाले सूर्य देव अपने सात घोड़ों के रथ पर व‍िराजमान थे। वह भोलेनाथ का प्रहार सहन नहीं कर पाए और रथ से नीचे गिर कर अचेत हो गए। उनके गिरते ही संपूर्ण सृष्टि अंधकार में डूब गई।

कश्‍यप ऋषि ने दिया भगवान शिव को शाप

संपूर्ण जगत में अंधियारा होने पर सूर्य देव के प‍िता कश्‍यप ऋषि को अपने पुत्र की चिंता हुई। जैसे ही वह भगवान सूर्य के पास पहुंचे तो उन्‍हें पता चला कि उनके पुत्र पर भगवान शिव ने प्रहार किया है। वह क्रोध से आग बबूला हो गए और अपना संयम खो बैठे। आवेश में आकर उन्‍होंने शिवजी को शाप दे डाला। उन्‍होंने कहा कि जिस तरह से आज वह अपने पुत्र की हालत पर रो रहे हैं। एक द‍िन उन्‍हें भी ऐसे ही दु:खी होना पड़ेगा। वह भी पुत्र कष्‍ट से रोएंगे।

साप्‍ताहिक लव राशिफल (6 से 13 अप्रैल) : मेष और मीन राशिवालों की लव लाइफ होगी रोमांटिक, जानें क्‍या कहते हैं आपके तारे?

ऐसे दिया भोले ने सूर्य देव का जीवन दान

कुछ ही क्षणों में जब भगवान श‍िव का क्रोध शांत हुआ तो उन्‍होंने देखा कि संपूर्ण सृष्टि में अंधकार होने से हाहाकार मचा है। उन्‍होंने सूर्य देव को जीवन दान दिया। तभी शिवजी को ऋषि कश्‍यप के शाप के बारे में पता चला। उन्‍होंने सभी का त्‍याग करने का निश्‍चय किया। यह सुनकर ब्रह्माजी भगवान सूर्य के पास पहुंचे। उन्‍हें उनके कार्य का दायित्‍व सौंपा। इसके बाद शिवजी, ब्रह्मा और ऋषि कश्‍यप सभी ने सूर्य को आशीर्वाद दिया और अपने-अपने स्‍थान पर वापस चले गए।

ये पौधे दूर कर देते हैं लाइफ की सारी टेंशन, मनचाही मुरादें भी करते हैं पूरी

माली-सुमाली की व्‍याधि भी हुई दूर

सूर्य जैसे ही अपनी राश‍ि पर आरूढ़ हुए माली-सुमाली पुन: शारीर‍िक कष्‍ट से जूझने लगे। तब ब्रह्मा जी ने स्‍वयं ही दोनों दैत्‍यों को सूर्य की उपासना का महत्‍व समझाया और कहा कि पूरी निष्‍ठा से उनकी उपासना करें। उनकी कृपा से ही वह पूर्ण रूप से न‍िरोगी होंगे। तब माली-सुमाली ने ब्रह्मा जी के कहे अनुसार सूर्य देव की पूजा- आराधना की। उनकी पूजा से प्रसन्‍न होकर सूरज देवता ने उनकी समस्‍त शारीरिक व्‍याधियों का अंत कर दिया।