लाखों महफिल जहाँ में यूँ तो – भजन (Lakho Mehfil Jahan Me Yun Too)

लाखों महफिल जहाँ में यूँ तो,
तेरी महफिल सी महफिल नहीं है ॥स्वर्ग सम्राट हो या हो चाकर,
तेरे दर पे है दर्ज़ा बराबर,
तेरी हस्ती को हो जिसने जाना,
कोई आलम में आखिर नहीं है ॥

लाखों महफिल जहाँ में यूँ तो,
तेरी महफिल सी महफिल नहीं है ॥

दर बदर खाके ठोकर जो थककर,
आ गया गर कोई तेरे दर पर,
तूने नज़रों से जो रस पिलाया,
वो बताने के काबिल नहीं है ॥

लाखों महफिल जहाँ में यूँ तो,
तेरी महफिल सी महफिल नहीं है ॥

जीते मरते जो तेरी लगन में,
जलते-रहते विरह कि अगन में,
है भरोसा तेरा हे मुरारी,
तू दयालु है कातिल नहीं है ॥

लाखों महफिल जहाँ में यूँ तो,
तेरी महफिल सी महफिल नहीं है ॥

तेरा रस्ता लगा चस्का जिसको,
लगता बैकुण्ठ फीका सा उसको,
डूब कर कोई बाहर ना आया,
इस में भवरे है साहिल नहीं है ॥

लाखों महफिल जहाँ में यूँ तो,
तेरी महफिल सी महफिल नहीं है ॥

कर्म है उनकी निष्काम सेवा,
धर्म है उनकी इच्छा में इच्छा,
सौंप दो इनके हाथों में डोरी,
यह कृपालु हैं तंग दिल नहीं हैं ॥

लाखों महफिल जहाँ में यूँ तो,
तेरी महफिल सी महफिल नहीं है ॥

लाखों महफिल जहाँ में यूँ तो,
तेरी महफिल सी महफिल नहीं है ॥

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