विधि-विधान पर तैयार हो रहा ग्रंथ
राम मंदिर ट्रस्ट ने धार्मिक कार्यक्रमों और पूजा व्यवस्था को संचालित करवाने के लिए एक हाई पावर कमिटी बना दी है। इसमें रामानंदीय परंपरा के संत भी शामिल हैं। समिति के एक सदस्य मणिराम छावनी के महंत कमल नयन दास भी हैं। वह कहते हैं कि पूजा तो रामानंदी विधि-विधान से ही होगी। समिति इसे और भव्य बनाने के लिए कुछ सुझाव के साथ संशोधन कर सकती है। काशी के विद्वान आचार्यों से भी समिति इस पर चर्चा करेगी। श्रीराम सेवा विधि समिति पूजन विधि पर एक ग्रंथ भी प्रकाशित कर रही है। इसमें पूजा से लेकर अन्य धार्मिक कार्यक्रमों की विधिक प्रक्रिया का वर्णन होगा।
लगेगा व्यंजनों का भोग
रामलला को चार समय भोग लगेगा। पुजारी प्रेम चंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि रामलला को हर दिन और समय के हिसाब से अलग-अलग व्यंजन परोसे जाते हैं। ये व्यंजन राम मंदिर की रसोई में बनते हैं। सुबह की शुरुआत बाल भोग से होती है। इसमें रबड़ी, पेड़ा या कोई और मिष्ठान चढ़ता है। दोपहर में राजभोग चढ़ता है, जिसमें दाल, चावल, रोटी, सब्जी, सलाद और खीर शामिल है। संध्या आरती के समय भी अलग-अलग मिष्ठान चढ़ते हैं और रात में भी पूरा भोजन चढ़ाया जाता है। यह प्रसाद भक्तों को कभी-कभार बांटा जाता है। नियमित तौर पर भक्तों को ट्रस्ट की ओर से इलायची दाना दिया जाता है। इसके अलावा ट्रस्ट अलग-अलग प्रकार का प्रसाद देने पर मंथन कर रहा है। ट्रस्ट का मानना है कि प्रसाद वह दिया जाए, जो महीनों तक खराब न हो।
अयोध्या में रामभक्तों के दो वर्ग
अयोध्या में ही रामभक्त भी दो वर्गों में बंटकर अपने आराध्य को रिझाते हैं। एक हैं रसिक तो दूसरा दास संप्रदाय। रसिक भक्त माता सीता को अपने पक्ष का मानते हैं, इसलिए वे प्रभु राम को अपना पति मानते हैं। रसिक भक्त अपने नाम के साथ शरण जोड़ते हैं। दास समुदाय प्रभु राम को अपना राजा और अपने को उनका सेवक मानकर उनकी पूजा करता है और अपने नाम में दास जोड़ता है। दोनों समुदायों के भक्तों में भावनात्मक लगाव अलग होते हैं, पर पूजा पद्धति एक ही तरह की होती है।
तीन वक्त की आरती, मौसम के हिसाब से वस्त्र
- रामलला की पहली आरती सुबह साढ़े छह बजे होती है। रामलला को जगाने से पूजन शुरू होता है। इसके बाद उन्हें लेप लगाने, स्नान करवाने से लेकर वस्त्र पहनाया जाता है।
- हर दिन और मौसम के हिसाब से अलग-अलग वस्त्र पहनाए जाते हैं। गर्मियों में सूती और हल्के वस्त्र तो जाड़े में स्वेटर और ऊनी वस्त्र पहनाए जाते हैं।
- दोपहर 12 बजे भोग आरती होती है और साढ़े सात बजे संध्या आरती होती है। इसके बाद रामलला को साढ़े आठ बजे शयन करवाया जाता है। रामलला के दर्शन साढ़े सात बजे तक ही किए जा सकते हैं।
कैसे शामिल हों आरती में?
- रामलला की हर आरती में अभी अधिकतम 30 लोगों के ही शामिल होने की अनुमति है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद दर्शन और आरती का स्वरूप और भक्तों की संख्या बढ़ सकती है।
- आरती में वही शामिल हो सकते हैं, जिसके पास ट्रस्ट द्वारा जारी अनुमति पास हो। ट्रस्ट के कार्यालय से ऑफलाइन के अलावा रामजन्मभूमि मंदिर के पोर्टल के जरिए ऑनलाइन पास बनवाए जा सकते हैं।
- पास के लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट में कोई एक दस्तावेज देना होगा। जिस दस्तावेज पर पास बनेगा, उसे सुरक्षाकर्मियों को दिखाना होगा। पास नि:शुल्क होते हैं।
- दर्शन के लिए भक्तों को नए मंदिर में गज और सिंह द्वार से होते हुए मंडप में गर्भ गृह तक ले जाया जाएगा। वहां 30 फुट की दूरी से दर्शन करने के बाद बायीं ओर से निकास होगा।