राधाकृष्ण प्राण मोर युगल-किशोर ( RadhaKrishn Prana Mora Yugal Kishor)

राधाकृष्ण प्राण मोर युगल-किशोर ।
जीवने मरणे गति आर नाहि मोर ॥कालिन्दीर कूले केलि-कदम्बेर वन ।
रतन वेदीर उपर बसाब दुजन ॥

श्याम गौरी अंगे दिब चन्दनेर गन्ध ।
चामर ढुलाब कबे हेरिब मुखचन्द्र ॥

गाँथिया मालतीर माला दिब दोंहार गले ।
अधरे तुलिया दिब कर्पूर ताम्बूले ॥

ललिता विशाखा आदि यत सखीवृन्द ।
आज्ञाय करिब सेवा चरणारविन्द ॥

श्रीकृष्णचैतन्य प्रभुर दासेर अनुदास ।
सेवा अभिलाष करे नरोत्तमदास ॥