राजा विक्रमादित्य को केवल छू लेने से यह युवक बन गया सारी संपत्ति का राजा

संकलन: आर.डी.अग्रवाल ‘प्रेमी’
एक बार राजा विक्रमादित्य ने ऐलान कराया कि कल सुबह जब मेरे महल का मुख्य दरवाजा खोला जाएगा, तब जिसने महल में जिस भी चीज को हाथ लगा दिया, वह चीज उसकी हो जाएगी। यह ऐलान सुनकर सभी लोग आपस में बातचीत करने लगे कि मैं तो सबसे कीमती चीज को हाथ लगाऊंगा। दूसरे दिन सुबह जब महल का मुख्य दरवाजा खुला, तो सभी लोग अपनी-अपनी मनपसंद चीजों को पाने के लिए दौड़ने लगे।

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सबको इस बात की जल्दी थी कि पहले मैं अपनी मनपसंद चीजों को हाथ लगा दूं, ताकि वह चीज हमेशा के लिए मेरी हो जाए। राजा विक्रमादित्य अपनी जगह पर बैठे सबको देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे। उसी समय उस भीड़ में से एक समझदार युवक राजा विक्रमादित्य की तरफ बढ़ने लगा और राजा के करीब पहुंच कर उसने उनको छू लिया। हाथ लगाते ही राजा विक्रमादित्य उसके हो गए और राजा की हर चीज भी उसकी हो गई। यह नजारा देख राज्य के कुलगुरु के साथ राज्य की प्रजा भी हैरान हो गई।

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फिर कुलगुरु उठे और सबको समझाते हुए बोले, ‘जिस तरह राजा विक्रमादित्य ने सारी प्रजा को जो मौका दिया था, उस मौके का सही फायदा उठाने में लगभग सारी की सारी प्रजा ने ही गलतियां कीं। ठीक इसी तरह सारी दुनिया का मालिक भी हम सबको हर रोज मौका देता है, लेकिन अफसोस कि हम लोग भी हर रोज गलतियां करते हैं। हम प्रभु को पाने की बजाय उस परमपिता की बनाई हुई दुनिया की चीजों की कामना करते हैं। लेकिन कभी भी हम लोग इस बात पर गौर नहीं करते कि क्यों न दुनिया को बनाने वाले प्रभु को ही पा लिया जाए।’ कुलगुरु के वचनों को सुनकर समस्त प्रजा को समझ आ गया कि यह उनकी परीक्षा थी।