यात्रा के साथ तीर्थ: सिक्‍क‍िम की खूबसूरती के साथ इन मंदिरों के दर्शन करना न भूलें

बाबा हरभजन सिंह मंदिर

यहां बाबा भारतीय सेना के साहसी और पराक्रमी हरभजन सिंह का मंदिर है। 30 अगस्त 1946 को जन्मे बाबा हरभजन सिंह, 9 फरवरी 1966 को भारतीय सेना के पंजाब रेजिमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। 1968 में वो 23वें पंजाब रेजिमेंट के साथ पूर्वी सिक्किम में सेवारत थे। 4 अक्टूबर 1968 को खच्चरों का काफिला ले जाते वक्त पूर्वी सिक्किम के नाथू ला दर्रे के पास उनका पांव फिसल गया और घाटी में गिरने से उनकी मृत्यु हो गई। उन्‍हीं के नाम पर यहां मंदिर है।

साईं बाबा का मंदिर

सिक्किम के नाची जिले में स्थित यह भव्‍य साईं बाबा का मंदिर यहां का प्रमुख आकर्षण है। मंदिर के परिसर में ही एक खूबसूरत गार्डन भी बनाया गया है। जहां से आप प्राकृतिक नजारों का आनंद लेने के साथ ही कंचनजंघा की पहाड़ियों को भी देख सकते हैं।

चारों धाम एक साथ

नामची सिक्किम में सोलोफोक पहाड़ी पर स्थित चारधाम भारत के प्रमुख तीर्थ स्‍थलों की एक ही जगह पर प्रतिकृति बनाई गई है। इसे सिद्धेश्‍वर धाम के नाम से भी जाना जाता है। यहां रामेश्‍वरम, सोमनाथ, पुरी और बद्रीनाथ के अलावा पूरे भारत के 12 ज्‍योतिर्लिंग शामिल हैं।

ठाकुरबाड़ी मंदिर

यह राज्‍य के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। य‍ह गंगटोक के मध्‍य में स्थित है। यहां हिंदू धर्म के लगभग सभी प्रमुख देवी-देवताओं की मूर्तियां स्‍थापित हैं।

दुर्गा मंदिर

मां दुर्गा के नवकन्‍या स्‍वरूप का यह मंदिर सिक्किम के रानीपूल के गांव मार्चक में स्थित है।

किरातेश्‍वर महादेव मंदिर

सिक्किम में रंगीत नदी के पास लेगशिप में यह मंदिर स्थित है। माना जाता है कि यह वही स्‍थान है जहां महाभारत के युद्ध से पहले भगवान शिव ने अर्जुन को आशीर्वाद दिया था। यहां भगवान शिव लिंग स्‍वरूप में हैं और स्‍वयं प्रकट हुए थे।

विश्‍व विनायक मंदिर

यह मंदिर पूर्वी सिक्किम के रंगदंग जिले के रेहृनॉक नामक कस्‍बे में स्थित है। यहां भगवान गणेश के 51 स्‍वरूपों को दर्शाया गया है। हर मूर्ति की ऊंचाई 12 फीट है। यह समुद्र मंथन की पौराणिक घटना को बड़ी ही खूबसूरती के साथ मूर्तियों के माध्‍यम से दर्शाया गया है।