यात्रा के साथ तीर्थ, मसूरी गए और इनके दर्शन ना किए तो क्या देखा

भद्रराज मंदिर

भद्रराज मंदिर, भगवान कृष्‍ण के छोटे भाई बालभद्रा को समर्पित है। यह जगह ट्रैकिंग के लिए परफेक्‍ट स्‍पॉट है जहां दून घाटी की पृष्‍ठभूमि भी शामिल होती है। यहां से चकराता रेंज और जौनसार बावर के क्षेत्र को भी आराम से देख सकते हैं।

संतरा देवी मंदिर

संतरा देवी मंदिर, मसूरी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। खूबसूरत वादियों के बीच बसा यह मंदिर आपकी यात्रा को रोमांचक बना देगा। इस मंदिर में शनिवार को सबसे अधिक दर्शनार्थी आते हैं। इसके पीछे मुगलकालीन एक कथा है। संतरा देवी इसी दिन मुगलों की सेना के सामने आत्मसमर्पण करने की बजाय ध्यान करते हुए अपने भाई के साथ पत्थर की बन गईं थी। उस समय से ही लोग इनकी पूजा करते आ रहे हैं।

प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर

देहरादून से मसूरी जाते समय रास्ते में प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर पड़ता है। यहां भगवान शिव के दर्शन करने के लिए एक शर्त रखी गई है। मंदिर में पैसा न चढ़ाने पर ही यहां भगवान शिव के दर्शन होते हैं। दान देने के लिए इस भव्य मंदिर में दानपात्र जैसी कोई व्यवस्था ही नहीं है। पहाड़ों की गोदी में बसे इस मंदिर से देहरादून वैली का सुंदर नजारा दिखाई देता है।

ज्वाला देवी

हिमाचल ही नहीं मसूरी में भी है ज्वालादेवी मंदिर का एक मंदिर। ओक और देवदार के घने वन के बीच मां ज्वाला देवी का यह मंदिर अत्यंत रमणीय है। श्रद्धालु यहां आकर ना सर्फ माता के दर्शन का लाभ पाते हैं बल्कि कुछ समय ठहर कर प्रकृति के अनुपम दृश्य को भी निहारते हैं जिससे मन को अपार शांति मिलती है। मंदिर के आस-पास कई प्राकृतिक झरनें भी हैं जिनका आनंद आप ले सकते हैं।

नाग मंदिर

कार्ट मेकैंजी रोड़ पर स्थित नाग मंदिर काफी प्राचीन है। हिंदू धर्म के त्‍यौहार, नाग पंचमी के दौरान इस मंदिर में सबसे ज्‍यादा भीड़ रहती है। यहां से मसूरी के साथ-साथ दून घाटी का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। यहां पर मसूरी झील भी है। यह झील पूरी मसूरी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। यह एक आकर्षक स्थान है। यहां से दून घाटी ओर आसपास के गावों का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।

तिब्बती मंदिर

बौद्ध सभ्यता की गाथा कहता तिब्बती मंदिर निश्चय ही पर्यटकों का मनमोह लेता है। इस मंदिर के पिछे की तरफ कुछ ड्रम लगे हुए हैं, जिनके बारे में मान्यता है कि इन्हें घुमाने से मनोकामना पूर्ण होती है। यह मंदिर चारों तरफ से सुंदर बर्फ के पहाड़ों से घिरा हुआ है। कहा जाता है कि तिब्‍बत से आने के बाद दलाई लामा ने मसूरी में शरण ली और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस भूमि को उनके नाम पर धर्मशाला के रूप में दर्ज कर दिया।