यात्रा के साथ तीर्थ: पूरा उत्तराखंड एक तरफ, लोहा घाट के मंदिर एक तरफ

आदित्य मंदिर

पहाड़ की चोटी पर स्थित प्राचीन आदित्य मंदिर, भगवान सूर्य को समर्पित है। यह मंदिर हरे भरे घने जंगलों और फूलों की वादियों से घिरा हुआ है। मान्यता है इस मंदिर का निर्माण चंद वंश के राजाओं ने करवाया था। यहां की वास्तुकला ओडीशा के सूर्य मंदिर जैसी दिखती है। द्वापर युग में पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान यहां आये थे और उन्होंने छह दिनों तक यहां भगवान शिव का पूजन किया था।

पूर्णागिरी मंदिर

पूर्णागिरि मंदिर, देवभूमि उत्तराखण्ड के टनकपुर में अन्नपूर्णा शिखर पर है। यह 108 सिद्ध पीठों में से एक है। यह स्थान महाकाली की पीठ माना जाता है। यहां पर माता सती की नाभि का भाग भगवान विष्णु के चक्र से कटकर गिरा था। चारो और पहाड़ और जंगल के बीच बसा यह मंदिर और कल-कल करती सात धाराओं वाली शारदा नदी यहां पर आपका मन मोह लेगी।

पाताल रुद्रेश्वर गुफा

पाताल रुद्रेश्वर गुफा की कहानी क‌िसी चमत्कार से कम नहीं है। मान्यता है क‌ि जब यहां भगवान श‌िव ने तपस्या की थी इसके बाद ही उन्हें मोक्ष की प्राप्त‌ि हुई थी। शिवलिंग के ऊपर प्राकृतिक रूप से पानी की 5 धाराएं चट्टान से गिरती हैं। भगवान शिव के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है लेकिन इस गुफा में खुद शिवजी ने मोक्ष प्राप्ति के लिए तपस्या की थी। पहाड़ों पर स्थित यह गुफा आपको एक नया अनुभव देगी।

नागनाथ ज्योतिर्लिंग

नागनाथ ज्योतिर्लिंग का हिंदू धर्म में इसका बहुत अधिक महत्व है। नागनाथ मंदिर की नक्काशी से इस स्थान की सुंदरता और अधिक बढ़ जाती है। इस मंदिर में एक नक्काशीदार द्वार के साथ एक डबल मंजिला लकड़ी की संरचना है, जो पारंपरिक कुमानी वास्तुकला शैली का प्रतिनिधित्व करती है। 18 वीं शताब्दी में, मंदिर को गोरखा और रोहिल्ला आक्रमणकारियों ने आंशिक रूप से नष्ट कर दिया था लेकिन अब मंदिर पहले की तुलना में बेहतर स्थिति में है। यह मंदिर प्राकृतिक सुंदरता को अपनी गोद में बसाया हुआ है।

पंचेश्वर महादेव मंदिर

पंचेश्वर महादेव मंदिर, काली एवं सरयू नदी के संगम पर स्थित है। यह स्थल ‘मत्स्य आखेट’ एवं ‘रिवर राफ्टिंग’ के लिये विख्यात है। इस स्थल पर मकर संक्रान्ति के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है। यहां के सुंदर प्राकृतिक नजारे पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। यहां समर वेकेशन के दौरान पर्यटकों का हुजूम उमड़ता है। नदियां और पहाड़ यहां की शोभा बढ़ाते हैं।

बालेश्वर मंदिर

बालेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, इसका निर्माण 10वीं या 12 वीं शताब्दी में चन्द शासकों ने करवाया था। स्थापत्य कला के बेजोड रूप से बने इस मंदिर की दीवारों पर अगल-अलग मानवों की मुद्राएं, देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाई गई हैं। मंदिर के हर हिस्से में एक अनेक प्रकार की कलाकृति देखने को मिलती है।