मृत्यु के बाद सभी बनते हैं 13 दिनों के लिए प्रेत, बचना है तो करें यह उपाय

प्रथम ‘ग’ से बनता है गंगाजल

गंगाजल का हिंदू धर्म और वेद-पुराणों बहुत अधिक महत्व बताया गया है। यदि व्यक्ति अपने जीवनकाल में ही प्रतिदिन गंगाजल से स्नान करे, उसका सेवन करे तो उसे मृत्यु के बाद प्रेत नहीं बनना पड़ता है।

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गीता का पाठ

श्रीमद्भग्वतगीता स्वयं भगवान श्रीहरि के मुख से कही गई अमृतवाणी है। जो व्यक्ति अपने जीवनकाल में प्रतिदिन गीता का पाठ करता है, उसे मृत्यु के बाद प्रेत नहीं बनना पड़ता है और उसकी सद्गति हो जाती है। इसलिए दिन के किसी भी प्रहर में जब भी समय मिले स्वच्छ वस्त्र धारण करके गीता के कुछ श्लोकों, किसी अध्याय या चरित्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।

गायत्री मंत्र का जप

जो लोग अपने जीवनकाल में प्रतिदिन सूर्योदय के समय या पूजन करते समय (गायत्री मंत्र का जप सूर्यास्त के बाद नहीं करते) गातत्री मंत्र का जप करते हैं, वे भी प्रेत बनने से बच जाते हैं। गायत्री मंत्र बहुत प्रभावशाली और शक्ति प्रदाता मंत्र है।

गयाश्राद्ध करना

बोध गया एक राक्षस गयासुर की पीठ पर बसा हुआ है। इस स्थान को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त है कि जो मनुष्य यहां अपने पूर्वजों का पिंडदान करेगा, उसके पूर्वजों के साथ ही उसे भी मुक्ति मिलेगी और प्रेत नहीं बनना पड़ेगा। इसलिए अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए और तीर्थ यात्रा के लिए व्यक्ति को जीवन में एक बार गया तीर्थ जरूर जाना चाहिए।

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गाय की सेवा

हममें से ज्यादातर लोग इस बात को जानते हैं कि गाय के शरीर में सभी देवी-देवताओं का निवास हमारे धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इसलिए अपने जीवनकाल में गाय की सेवा जरूर करनी चाहिए। जो लोग प्रतिदिन गाय की सेवा करते हैं, उसे रोटी, जल और चारा देते हैं, मृत्यु के बाद उन्हें प्रेत बनने से मुक्ति मिलती है।

इस बात का रखें ध्यान

वेद-पुराण और धर्मग्रंथों में मुक्ति से संबंधित जो भी बातें बताई गई हैं, वे सभी बातें तभी प्रभावकारी होती हैं, जब हम अपना आचरण सही रखें। कभी किसी का धन न हड़प करें और किसी निर्दोष व्यक्ति का दिल न दुखाएं।

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