मां अन्नपूर्णा का स्थान है रसोईघर, इस तरह कभी खाली नहीं होगा अन्न का भंडार

घर में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रसोईघर होता है और यहीं से सभी सदस्यों को ऊर्जा मिलती है। रसोईघर यानी किचन मां अन्नपूर्णा का स्थान माना जाता है और माता को अन्नदात्री भी कहा जाता है। मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से घर का भंडार कभी खाली नहीं रहता है और सभी सदस्यों को पूरा भोजन मिलता है इसलिए घर में रसोईघर का सबसे ज्यादा ध्यान रखा जाता है। वास्तु के अनुसार, अगर इस स्थान पर कोई दोष होता है तो इसका प्रभाव भोजन पकाने वाले के साथ साथ पूरे परिवार पर भी पड़ता है और यह दोष रोग, शोक, वाद विवाद, अड़चन और धन आदि की बर्बाद का कारण बनता है। अगर आप भी अपने रसोईघर यानी किचन में वास्तु अनुसार छोटी छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो घर का भंडार कभी खाली नहीं होगा। आइए जानते हैं रसोईघर यानी किचन में किन बातों का ध्यान रखें…

घर में इन चीजों का ना रखें खाली

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में सजावट के लिए रखे हुए चीनी-मिट्टी, पीतल या अन्य धातु के बने हुए नक्काशीदार बर्तन भी, घर हो या शोकेस कभी खाली ना रखें। इन सजावट की चीजों में थोड़ा बहुत अन्न जैसे गेहूं, चावल आदि के कुछ दाने अवश्य रखें, ताकि आपका धन कोष हमेशा भरा रहे।

अन्न भंडार में इन चीजों का रखें ध्यान

बड़े बुजुर्गों से आपने हमेशा कहते सुना होगा कि अनाज के बर्तन कभी भी खाली नहीं रखने चाहिए, उनमें थोड़ा बहुत अन्न अवश्य रखना चाहिए ताकि घर की बरकत हमेशा बनी रहे। क्योंकि अन्न भंडार का खाली होना धन की कमी का सूचक माना जाता है। वास्तु के अनुसार, अन्न भंडार के खाली हो चुके बर्तन, कन्नस्तर, ड्रम, डिब्बे आदि कभी भी पूर्णत: खाली नहीं होने चाहिए। इनमें थोड़ा बहुत अन्न अवश्य ही रखना चाहिए।

किचन में भूलकर भी ना रखें ये चीजें

किचन में मौजूद बर्तन और उपयोग की वस्तुएं आदि चीजें टूटी फूटी ना हों, इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। किचन में मौजूद टूटी फूटी चीजों से घर में कलह व अशांति का साम्रज्य बन जाता है और पारिवारिक सुख-चैन छिन्न भिन्न हो जाता है। खाने पानी के कोई भी वस्तु ना तो कभी टूटे फूटे बर्तन में सर्व करें और ना ही स्वयं के प्रयोग में लाएं।

इन दोनों को आसपास कभी भी ना रखें

किचन में अग्नि और पानी पास पास ना रखें। किचन में हमेशा सिंक और गैस चूल्हा हमेशा एक दूसरे से दूर रखना चाहिए क्योंकि सिंक जल तत्व है और चूल्हा अग्नि तत्व का प्रतीक है। यह दोनों एक दूसरे के विरोधी तत्व हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, चूल्हा और पानी साथ साथ रखे हुए हों तो परिवार में कोई ना कोई व्यक्ति बीमार जरूर रहता है और आपस में सदस्यों के बीच वाद विवाद रहता है। जल और अग्नि एक दूसरे के शत्रु हैं, जो जितना अधिक दूर रहे, उतना ही अच्छा है। दोनों अगर पास में हैं तो यह विध्वंसक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।

भूलकर भी ना करें अन्न का अपमान

अन्न का कभी अपमान ना करें और भोजन जीवन के लिए अनिवार्य पदार्थ है। सभी प्राणियों को जीने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। दिन रात कड़ी मेहनत करने के बाद अन्न नसीब होता है इसलिए अन्न का जाने अनजाने कभी निरादार नहीं करना चाहिए। मां अन्नपूर्णा का आपके घर पर हमेशा आशीर्वाद बना रहे इसके लिए हमेशा कोशिश करें कि जितना जरूरत हो, उतना ही भोजन करें। भोजन का जूठा झोड़ना, भोजन की भरी हुई थाली छोड़ देना, दहलीज पर बैठकर भोजन करना आदि चीजें अन्न का निरादर हैं।

भोजन करते समय ना करें ये गलती

बेडरूम में बैठकर भोजन करने से बचें, ऐसा करने से धन की कमी होने लगती है और कई तरह के रोग उत्पन्न होते हैं। कभी भी जूठे बर्तन पलंग के सिरहाने यानी नीचे नहीं रखने चाहिए। घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए सभी सदस्यों को एक साथ बैठकर भोजन करना चाहिए।

मां अन्नपूर्णा का मिलेगा आशीर्वाद

भोजन करते समय नजर दोष से बचने के लिए जल से थाली के नीचे त्रिकोण बना लेना चाहिए। हर रोज भोजन करने से पहले और बाद में माता अन्नपूर्णा का ध्यान और उनका धन्यवाद करना चाहिए। साथ ही अगले दिन उत्तम भोजन के लिए प्रार्थना भी करनी चाहिए, ऐसा करने से देवी अन्नपूर्णा की हमेशा कृपा बनी रहती है।