22 कुंड और 52 धाराएं हैं राजगीर में
राजगीर का ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों ही महत्व है। यह कभी मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी, इसी के बाद मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ। राजगीर में भगवान विष्णु की शालीग्राम के रूप में पूजा की जाती है। यहां ब्रह्मकुंड व सप्तधाराओं में स्नान की विशेष महत्ता है। साथ ही यहां पर 22 कुंड और 52 धाराएं भी हैं।
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इनको निमंत्रण देना भूल गए राजा वसु
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा वसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड परिसर में एक यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ में राजा वसु ने सभी 33 करोड़ देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया था और वे सभी यहां पर पधारे भी थे। लेकिन काले काग (कौआ) को निमंत्रण देना राजा वसु भूल गए। उसके बाद से मलमास मेले के दौरान राजगीर के आसपास काग महाराज कहीं दिखाई नहीं देते हैं।
कई ग्रंथों में आता इस जगह का नाम
इस जगह का बौद्ध धर्म से काफी पुराना नाता रहा है। भगवान बुद्ध की यह साधना भूमि रही है। महात्मा बुद्ध ना केवल यहां रुके थे बल्कि यहां से उन्होंने विश्व को कई उपदेश भी दिए थे। राजगीर का विवरण कई ग्रंथों, उपनिषदों और वेदों में भी किया गया है।
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हिल स्टेशन राजगीर
राजगीर एक खूबसूरत हिल स्टेशन भी है, आप यहां तपती गर्मी से बचने के लिए घूमने भी आ सकते हैं। यह जगह ना सिर्फ धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है बल्कि यह एक सुन्दर हेल्थ रेसॉर्ट के रूप में काफी लोकप्रिय है। इस जगह पर हिंदू, जैन, और बौद्ध तीनों धर्मों के कई धार्मिक स्थल हैं। बताया जाता है कि बुद्ध के उपदेशों को यहीं लिपिबद्ध किया गया गया था और पहली बौद्ध संगीति भी यहीं हुई थी।
जंगल और पहाड़ों के बीच बसा है राजगीर
राजगीर पहुंचकर आप विश्व शांति स्तूप, सोन भंडार, जरासंध का अखाड़ा, बिंबिसार की जेल, नौलखा मंदिर, जापानी मंदिर, बाबा सिद्धनाथ का मंदिर, जैन मंदिर आदि मंदिरों को दर्शन कर सकते हैं। यह एक आकर्षक स्थान है। यहां का अनुपम दृश्य देखने लायक हैं, जिससे मन को अपार शांति मिलती है।
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यह है मलमास
बताया जाता है कि मलमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त महीना है। यह मलमास हर 32 महीने, 16 दिन और 8 घड़ी के अंतर के बाद ही आता है। मलमास से सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच संतुलन बनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अतिरिक्त एक महीने को मलमास और अधिक मास भी कहा जाता है।