मन और आत्मा की भूख

विज्ञान को विज्ञान तभी कह सकते हैं जब वह शरीर, मन और आत्मा की भूख मिटाने की पूरी ताकत रखता हो।
-महात्मा गांधी

विनाश-काल में बुद्धि विपरीत हो जाती है।
-चाणक्य

लाचार तो जड़ होता है, हम चेतन हैं, आत्म-स्वरूप हैं, अपना वातावरण हम स्वयं बनाएंगे।
-विनोबा