इस तरह पत्थरों से बना है यह मंदिर
ककनमठ मंदिर के बारे में बताया जाता है बड़े-बड़े पत्थरों से बने इस मंदिर के निर्माण में किसी भी तरह के सीमेंट गाड़े का प्रयोग नहीं किया गया है। सभी पत्थर एक के ऊपर कतारबद्ध रखे हुए हैं। एक बार देखकर तो मन में यह सवाल उठता है कि कहीं यह गिर ना जाए लेकिन यह मंदिर वर्षों से अपने स्थान पर अडिग खड़ा है।
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मंदिर से जुड़ी यह खास बातें
मंदिर के आस-पास बने कई छोटे-छोटे मंदिर नष्ट हो गए हैं लेकिन इस मंदिर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। मंदिर के बारे में कमाल की बात तो यह है कि जिन पत्थरों से यह मंदिर बना है आस-पास के क्षेत्रों में यह पत्थर नहीं मिलता है। कहते हैं कहीं दूर से खाली मैदान में पत्थर लाकर भूतों ने एक रात में इस मंदिर का निर्माण कर दिया
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इसलिए मंदिर रह गया था अधूरा
इस मंदिर को देखकर यह भी लगता है कि इसका निर्माण अचानक छोड़ दिया गया हो। स्थानीय लोग बताते हैं मंदिर बनते-बनते सुबह हो गई इसलिए मंदिर को अधूरा छोड़कर ही भूत-प्रेत चले गए।
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तो नष्ट हो जाएगा कनकमठ मंदिर
किंवदंती है कि इस मंदिर के संग भूत-प्रेतों का शाप भी चल रहा है। इस मंदिर को काने लोगों से खतरा है। स्थानीय लोगों के अनुसार जिस दिन नाई जाति के नौ काने लड़के दूल्हा बनकर मंदिर के सामने से गुजरेंगे उस दिन यह मंदिर नष्ट हो जाएगा। संयोग की बात है कि अब तक ऐसी बात यहां नहीं हुई है।
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इसलिए पड़ा मंदिर का नाम ककनमठ
ककनमठ मंदिर को लेकर एक कहानी यह भी बताई जाती है कि इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कच्छवाहा वंश के राजा कीर्ति सिंह के शासनकाल में हुआ था। राजा कीर्ति सिंह और उनकी पत्नी रानी ककनावती भगवान भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं। उन्होंने ही इस मंदिर का निर्माण कराया था इसलिए इसका नाम ककनमठ मंदिर पड़ा।
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