भारतीय संस्कृति में नाग पंचमी उत्सव (Nagpanchami Celebration in Indian Culture)

भारतीय (हिंदू) संस्कृति में जानवरों का विशेष महत्व है। गाय हमारे लिए माता है और हम पीपल के पेड़ को भी देवता के रूप में पूजते हैं। नागपंचमी हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है। नागपंचमी नागों को समर्पित हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है।सांप और हमारी संस्कृति
सांप हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा हैं। जहां एक ओर सर्पों को भगवान शंकर के गले में आभूषण के रूप में लपेटा जाता है, वहीं दूसरी ओर शिव का निर्गुण-औपचारिक रूप भी सांपों से शिवलिंग को सुशोभित करता है। भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर ही सोते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब भी भगवान विष्णु पृथ्वी पर अवतार लेते हैं तो उनके साथ शेषनाग जी अवतार लेते हैं। शेषनाग रामावतार में लक्ष्मणजी और कृष्णावतार में बलराम के रूप में भी अवतरित हुए हैं।

नागपंचमी कब मनाई जाती है?
पवित्र श्रावण (सावन) मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी वह तिथि है जो नागों को प्रसन्न करती है, इसलिए इसे ‘नागपंचमी’ के नाम से जाना जाता है।

नागपंचमी व्रत पूजा विधि
सफेद कमल के साथ सांप या नाग की पूजा करके यह त्योहार मनाया जाता है। आमतौर पर लोग मिट्टी से अलग-अलग आकार के सांप बनाते हैं और उन्हें अलग-अलग रंगों से सजाते हैं। एक चबूतरे पर मिट्टी से बने सांप की मूर्ति को रखा जाता है और उस पर दूध चढ़ाया जाता है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में, नाग देवता के स्थायी मंदिर हैं, जहां देवता की विशेष पूजा भव्य तरीके से की जाती है।