प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान जब एक माचिस की तीली जला दी कमांडर ने

संकलन: रेनू सैनी
जॉन जोसेफ ब्लैकजैक पर्शिंग ने प्रथम विश्वयुद्ध में पश्चिमी मोर्चे पर अमेरिकी अभियान बलों के कमांडर के रूप में कार्य किया था। पर्शिंग एकमात्र ऐसे अधिकारी थे जिन्हें उनके जीवनकाल में सेनाओं के जनरल के रूप में पदोन्नति दी गई। उन दिनों प्रथम विश्वयुद्ध की लड़ाई जोरों पर थी। अधिकारियों से लेकर सैनिक तक बहुत सतर्क थे। जरा सी चूक लाखों लोगों की जान ले सकती थी। एक मोर्चे पर अंधेरे में सैनिक चुपचाप बैठे पर्शिंग के आदेश का इंतजार कर रहे थे। अचानक एक माचिस की तीली जल उठी।

तीली जलते देख एक सैनिक बोला, ‘किस बेवकूफ ने तीली जला दी? क्या उसे पता नहीं कि इस समय तीला जलाना कितना खतरनाक है? तुरंत तीली बुझाओ।’ सैनिक की बात पूरी होते-होते तक तीली जलाने वाला शख्स उसके सामने आ चुका था। तीली की रोशनी में उसे देख सैनिक की जबान तालू से चिपक गई। मगर उस व्यक्ति ने सैनिक के कंधे पर हाथ रखा और सहजता से बोले, ‘डरने की कोई बात नहीं है। मुझे कुछ जरूरी आदेश देने थे, इसलिए तीली जलाने की जरूरत पड़ी।’ इतना कह वे आगे बढ़ गए। वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि स्वयं पर्शिंग थे।

पर्शिंग तो चले गए, लेकिन वहां मौजूद एक-एक सैनिक उनके व्यवहार से अभिभूत था। सब इस बात से प्रभावित थे कि पर्शिंग उस साधारण से सैनिक की झिड़की सुनकर भी न केवल सहज रहे, बल्कि उसे अपने व्यवहार की सफाई भी दी। बात धीरे-धीरे फैल गई। युद्ध के बाद एक पत्रकार ने पर्शिंग से इस घटना का जिक्र किया। पर्शिंग उस समय भी उतने ही सहज रहे। उन्होंने कहा, सैनिक के सवाल ने साबित किया कि वह किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त करने को तैयार नहीं था। इसलिए मैंने अपनी तरफ से सफाई देकर उसे आश्वस्त किया।’ ऐसी सहजता और विनम्रता ही किसी व्यक्तित्व को महान बनाती है।