पत्नी से हुआ इतना प्यार, मुश्किल में फंसी जान

एक ही पत्नी पर लुटा दिया सारा प्यार, यह हुआ अंजाम

अति किसी भी चीज की अच्‍छी नहीं फिर चाहे बात पत्‍नी प्रेम की ही क्‍यों न हो। हालांकि पत्‍नी से प्रेम होना कोई गलत बात नहीं है। बल्कि यह तो किसी भी पत्‍नी के लिए उसका मान बढ़ाने वाली बात होती है। लेकिन पौराणिक युग में पत्‍नी के प्रति अगाध प्रेम होने से जान के लाले पड़ गए। आइए जानते कहानी का पूरा सच…

तो यह थे पत्‍नी को अगाध प्रेम करने वाले

कथा मिलती है कि एक बार चंद्र देव व‍िहार पर न‍िकले थे। तभी उनकी नजर कुछ कन्‍याओं पर पड़ी। जो अत्‍यंत ही रूपवान थीं। चंद्र देव उनके प्रति मोहित हो गए और अपने वाहन से उतरकर वह कन्‍याओं के पास पहुंच गए। वहां पहुंचने पर पता चला कि सभी कन्‍याएं दक्ष प्रजापति की हैं। उनकी सबसे बड़ी पुत्री रोहिणी चंद्र देव के पास पहुंचीं और उन्‍हें देखती ही रह गईं। उसी क्षण उनके मन में चंद्र देव से व‍िवाह का ख्‍याल आया। लेकिन यही व‍िचार उनकी अन्‍य बहनों के भी मन में आया।

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तब पहुंचे चंद्र देव दक्ष प्रजापति के पास

कथा के मुताबिक जब चंद्र देव को यह बात पता चली तो वह दक्ष प्रजापति के पास पहुंचे और उनकी सभी 27 कन्‍याओं से व‍िवाह का प्रस्‍ताव रखा। हालांकि तब भी दक्ष ने अपनी पुत्रियों को समझाने का प्रयास किया कि चंद्रमा चंचल प्रवृत्ति के हैं उनके साथ व‍िवाह करने का व‍िचार ठीक नहीं। लेकिन जब बेटियां नहीं मानी तो दक्ष ने सभी का व‍िवाह चंद्रदेव से करवा द‍िया। हालांकि चंद्रमा सभी पत्नियों में रोहिणी पर व‍िशेष स्‍नेह रखते थे।

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दक्ष कन्‍याओं ने की प‍िता से श‍िकायत

चंद्रदेव रोहिणी के साथ ही अध‍िक से अध‍िक समय बिताते। यह देखकर अन्‍य ने स्‍वयं को उपेक्षित समझा और इसकी श‍िकायत करने दक्ष प्रजापति के पास पहुंचीं। जहां उन्‍होंने पूरा वृतांत कह सुनाया। इसके बाद दक्ष ने चंद्र देव को काफी समझाया। उनसे प्रार्थना की कि भव‍िष्‍य में वह इस बर्ताव को न दोहराएं। लेकिन चंद्रदेव के व्‍यवहार में कोई पर‍िवर्तन नहीं हुआ तो दक्ष ने उन्‍हें शाप दे द‍िया। उन्‍होंने कहा कि जिस रूप पर तुम्‍हें इतना घमंड है वह सब नष्‍ट हो जाएगा। तुम क्षय रोग से पीड़‍ित हो जाओगे। शाप मिलते ही चंद्रमा क्षय से पीड़‍ित हो गए। सृष्टि में हाहाकार मच गया।

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देवी-देवता पहुंचे ब्रह्मा की शरण में

चंद्रदेव की हालत देखकर सभी देवी-देवता ब्रह्मा जी की शरण में पहुंचे। जहां उन्‍होंने सारी समस्‍या कही। तब ब्रह्मा जी ने कहा कि चंद्रमा को तो उनके किये का फल भुगतना ही पड़ेगा। लेकिन अगर वह महादेव की शरण में जाएं तो कल्‍याण हो सकता है। उन्‍होंने बताया कि यद‍ि चंद्रदेव श‍िवलिंग की स्‍थापना करके प्रतिद‍िन मृत्‍युंजय मंत्र से शिवजी की आराधना करें तो भोले प्रसन्‍न होकर क्षय रोग से उन्‍हें मुक्‍त कर सकते हैं। अन्‍यथा कोई व‍िकल्‍प नहीं है। मान्‍यता है कि चंद्रमा द्वार स्थापित शिवलिंग ही आज सोमनाथ महादेव के नाम से विख्यात है। इसे बारह ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग होने का गौरव प्राप्त है।

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दक्ष के शाप का अब भी चंद्रमा पर प्रभाव

चंद्र देवता की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने प्रदोषकाल में उन्हें पुनर्जीवन का वरदान दिया साथ ही अपने मस्तक पर धारण करके उनका मान बढाया। हालांकि दक्ष के शाप से चंद्रमा पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाए। शिव पुराण की कथा के अनुसार आज भी दक्ष के उस शाप के कारण चंद्रमा का आकार घटता और बढ़ता रहता है। अमावस्या को चंद्रमा पूरी तरह क्षय हो जाते हैं और पूर्णिमा के दिन वापस अपने पूर्ण सौंदर्य के साथ चमकने लगते हैं।

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