नवरात्रि में वैष्णो देवी क्यों आते हैं बड़ी संख्या में भक्त, जानें मंदिर की खास बातें

इसलिए भक्त नवरात्रि में वैष्णो देवी मंदिर के करते हैं दर्शन

नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के भक्त मां के तीर्थ स्थलों के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। इनमें माता वैष्णो का खास स्थान है। जम्मू के कटरा में स्थित मां वैष्णो देवी के धाम को लेकर भक्तों में गहरी आस्था है। यही कारण है कि हर साल नवरात्रि के दिनों में मां वैष्णो देवी जाने वाले श्रद्धालुओं का रेकॉर्ड टूटता रहता है। बताया जा रहा है कि पिछले चार दिनों में एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु मां के दर्शन कर चुके हैं। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से दर्शन करने मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मां के दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता। आइए जानते हैं कटरा वाली माता यानी मां वैष्णो देवी के मंदिर की खास बातें…

पिंडी रूप में दर्शन देती हैं माता

मां वैष्णो देवी का मंदिर तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सबसे ज्यादा देखे जाने वाला तीर्थ स्थल है। मां आदिशक्ति को समर्पित यह मंदिर कटरा नगर के पास पहाड़ियों पर स्थित है। इन पहाड़ियों को त्रिकुटा और त्रिकूट पहाड़ी कहते हैं। त्रिकुट पहाड़ियों पर एक गुफा में माता वैष्णो देवी की स्वयंभू तीन पिंडी हैं। तीन पिंडी में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती एक साथ विराजित हैं। इन तीनों पिंडियों को सम्मिलित रूप से वैष्णो देवी कहा जाता है और उसी स्थान को माता का भवन कहते हैं। गुफा के अंदर एक चबूतरा है, जहां तीनों माताएं भक्तों को दर्शन देती हैं और सभी की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

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कटरा से करनी पड़ती है माता के भवन की यात्रा

माता वैष्णो देवी का भवन जहां है, वहीं मां ने भैरवनाथ का वध किया था। प्राचीन गुफा के पास ही भैरों का शरीर स्थिति है और उसका सिर तीन किमी दूर भैरो घाटी में चला गया। जिस स्थान पर भैरो का सिर गिरा, उस स्थान को भैरोनाथ के मंदिर के नाम से जाना जाता है। माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए कटरा से माता के भवन तक पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है। कटरा से लेकर माता के भवन तक 13 किमी की पैदल यात्रा है और भैरोनाथ के मंदिर तक 14.5 किमी है। माता वैष्णो देवी की यात्रा तभी पूरी होती है, जब मां के दर्शन करने के बाद भैरवनाथ मंदिर के दर्शन किए जाएं।

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माता वैष्णो देवी मंदिर को लेकर पौराणिक कथा

माता वैष्णो देवी के मंदिर की एक पौराणिक कथा है। पौराणिक कथा के अनुसार, भैरवनाथ माता आदिशक्ति को पकड़ना चाहता था। तब मां त्रिकुट पर्वत की ओर चली गईं और उनके पीछे भैरवनाथ भी चला गया। भैरवनाथ पीछा कर रहा है या नहीं, इस बात को जानने के लिए माता आदिशक्ति ने पीछे मुडकर देखा था, जहां माता खड़ी हुई थीं, वहां उनके चरणों के निशान बन गए थे। आज वह स्थान चरण पादुका मंदिर के नाम से जाना जाता है, वहां आज भी मां के चरणों के दर्शन किए जाते हैं। तभी मां आदिशक्ति की रक्षा करने के लिए हनुमानजी भी पहुंच गए थे। हनुमानजी को उस समय प्यास लग आई, तब मां ने धनुष से पहाड़ पर बाण चलाकर एक जलधारा निकाल और उससे अपने केश भी धोए। उस जल धारा को बाण गंगा के नाम से जाना जाता है। इसके बाद मां एक गुफा में प्रवेश कर गईं और वहां नौ माह तक तपस्या की और उस गुफा के बाहर हनुमानजी पहरा देते रहे। यह गुफा आज अर्धकुमारी, आदिकुमारी और गर्भजून के नाम से प्रसिद्ध है।

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माता के साथ भैरवनाथ के दर्शन जरूरी

भैरवनाथ को माता आदिशक्ति के बारे में जानकारी मिल गई थी और वह गुफा के पास पहुंच गया। तब भैरवनाथ की बहस एक साधु से हुई। साधु ने कहा जिसे तू कन्या समझ रहा है, वहां आदिशक्ति मां भवानी हैं। तू उनका पीछा छोड़ दे लेकिन भैरवनाथ ने यह बात नहीं मानी और वह गुफा के अंदर चला गया। तब माता गुफा की दूसरी ओर से मार्ग बनाकर बाहर निकल गईं और पहाड़ी के ऊपर एक गुफा में चली गईं। भैरवनाथ वहां भी आ गया, यहां पर हनुमानजी माता का पहरा दे रहे थे। भैरवनाथ के गुफा में प्रवेश करते देख हनुमानजी का युद्ध भैरवनाथ से हुआ। काफी देर के युद्ध के बाद माता वैष्णवी ने मां दुर्गा का रूप धारण करके भैरवनाथ का वध कर दिया। भैरवनाथ के वध के बाद उसको अपनी भूल का पश्चाताप हुआ और उसने मां से क्षमा मांगी। माता ने भैरवनाथ को माफ कर दिया और कहा कि मेरे दर्शन तब तक पूरे नहीं होंगे, जब तक कोई भक्त मेरे बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा।

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सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठ है वैष्णो देवी

माता के मंदिर की खोज मां के सबसे बड़े भक्त श्रीधर ने की थी और आज भी श्रीधर के वंशज माता की सेवा कर रहे हैं। यह माता वैष्णो देवी का सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यहां माता वैष्णो देवी महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली के साथ विराजमान हैं। माता वैष्णो देवी की उत्पत्ति इन तीनों देवियों से ही हुई थी इसलिए माता वैष्णवी को इनकी बेटी भी कहा जाता है। मां वैष्णो देवी की शक्ति से ही इस पूरी सृष्टि का कार्य कर रही हैं। जब भी भक्तों पर कोई कष्ट या विपत्ति आती है, तब मां वैष्णवी ही उनकी रक्षा करती हैं। जो भी भक्त नवरात्रि में वैष्णो देवी मंदिर के सच्चे मन से आराधना करता है, उस पर माता रानी की कृपा जरूर रहती है और मां उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।