दुर्गे भवानी तू ही काली कल्याणी: भजन (Durge Bhawani Tu Hi Kali Kalyani)

दुर्गे भवानी तू ही काली कल्याणी,
तेरी शक्ति है अपार,
कोई पाया नहीं पार,
मैया जगदम्बे, जगदम्बे,
दुर्गें भवानी तू ही काली कल्याणी ॥शुम्भ निशुम्भ ने जब देवों को हराया,
उनका स्वर्ग लिया छीन,
देव हुए बलहीन,
मैया जगदम्बे, जगदम्बे,
दुर्गें भवानी तू ही काली कल्याणी ॥

सभी देव मिल आए माँ तेरी शरण में,
तुमने काली रूप धारा,
असुरों को ललकारा,
मैया जगदम्बे, जगदम्बे,
दुर्गें भवानी तू ही काली कल्याणी ॥

रूप था भयंकर तीनों लोक थर्राए,
माँ की आँखों में थी ज्वाला,
गल में थी मुंड माला,
मैया जगदम्बे, जगदम्बे,
दुर्गें भवानी तू ही काली कल्याणी ॥

असुरों की मुंड माल गले में सजाए,
कर में खड़ग खप्पर धारे,
रण में भरती हुंकारे,
मैया जगदम्बे, जगदम्बे,
दुर्गें भवानी तू ही काली कल्याणी ॥

चंड मुंड तुमसे लड़ने रण में जब आए,
शीश दोनों के उतारे,
लाखो रक्त बीज मारे,
मैया जगदम्बे, जगदम्बे,
दुर्गें भवानी तू ही काली कल्याणी ॥

शुम्भ निशुम्भ भारी सेना लेके आए,
किया दोनों का संहार,
देवों ने की जय जयकार,
मैया जगदम्बे, जगदम्बे,
दुर्गें भवानी तू ही काली कल्याणी ॥

दुर्गे भवानी तू ही काली कल्याणी,
तेरी शक्ति है अपार,
कोई पाया नहीं पार,
मैया जगदम्बे, जगदम्बे,
दुर्गें भवानी तू ही काली कल्याणी ॥

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