दरबार सजा तेरा न्यारा,
निरखत निरखत मैं हारा ॥सालासर थारो भवन विराजे,
झालर शंख नगाड़ा बाजे,
थारा सूरज सामी सा द्वारा,
निरखत निरखत मैं हारा ॥
निरखत निरखत मैं हारा ॥सालासर थारो भवन विराजे,
झालर शंख नगाड़ा बाजे,
थारा सूरज सामी सा द्वारा,
निरखत निरखत मैं हारा ॥
दूर देश से चल कर आवां,
नाचां गावां थाने रिझावन,
थे हो भक्तां का पालनहारा,
निरखत निरखत मैं हारा ॥
चैत सुदी पूनम को मेलो,
भक्तां को लागो है रेलों,
थारे नाम का गूंजे जयकारा,
निरखत निरखत मैं हारा ॥
माँ अंजनी का लाल कहावो,
राम की महिमा हर दम गावो,
म्हारी नैया करयो भव पारा,
निरखत निरखत मैं हारा ॥
दरबार सजा तेरा न्यारा,
निरखत निरखत मैं हारा ॥