डॉ. राधाकृष्णन ने स्टालिन के जन्मदिन पर दिया बेल का फल, बोले ये हैं अंदर से नरम और बाहर से गरम

बात उन दिनों की है जब डॉ. राधाकृष्णन रूस में भारत की ओर से राजदूत बने थे। एक दिन रूस के लौह पुरुष कहे जाने वाले स्टालिन का जन्मदिन आया। डॉ. राधाकृष्णन भी स्टालिन के पास बधाई देने पहुंचे। जन्मदिन के तोहफे के तौर पर उन्होंने स्टालिन को बेल का फल दिया। वहां उपस्थिति गणमान्य लोगों ने इसे काफी आश्चर्य से देखा क्योंकि वे इस तरह के किसी फल से पूरी तरह अनभिज्ञ थे। उपस्थित लोगों ने डॉ. राधाकृष्णन से पूछा कि यह क्या चीज है और इसको भेंट देने के पीछे आपका क्या तात्पर्य है?

डॉ. राधाकृष्णन ने बताया कि यह बेल का फल है। हमारे भारत में यह भगवान शंकर का सबसे खास फल माना जाता है। यह परम आरोग्यदायी है और इसकी यह विशेषता है कि यह ऊपर से तो बेहद कठोर है, लेकिन भीतर से यह अति कोमल और रस से भरा है। इसे खाने का अलग ही आनंद है। जब उनसे यह पूछा गया कि आपने यह भेंट स्टालिन को क्या सोचकर दी तो उन्होंने बताया, ‘आज के शुभ अवसर पर मैंने स्टालिन को यह प्रतीकात्मक उपहार इसलिए भेंट किया, क्योंकि स्टालिन स्वयं भी इसी बेल फल की भांति हैं।’

वे बोले, ‘रूस में लोग उन्हें लौह पुरुष कहते हैं, पर लोहा अंदर से भी वैसा ही होता है जैसा बाहर से होता है। मगर स्टालिन ऐसे नहीं हैं। वास्तव में वे अंदर और बाहर से इसी फल की तरह हैं। बाहर से वे कठोर दिखाई देते हैं, लेकिन उनका हृदय बेहद कोमल और जरूरतमंदों के लिए धड़कने वाला है। यूं ही नहीं वे गरीबों और मजदूरों के मसीहा हैं।’ यह सुनकर स्वयं स्टालिन भी प्रसन्न हो गए। वहां उपस्थित लोगों ने डॉ. राधाकृष्णन से कहा कि वे पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने स्टालिन का सबसे सही मूल्यांकन किया है। इस घटना के बाद से तो डॉ. राधाकृष्णन पूरे रूस में काफी माने जाने लगे।

संकलन : त्रिलोक चन्द जैन