ज्योष्ठ माह 2024 (Jyeshtha Maas 2024)

पारंपरिक हिंदू कैलेंडर में ज्योष्ठ माह वर्ष का तीसरा महीना होता है। बंगाल में यह बंगाली कैलेंडर का दूसरा महीना है। तमिल में, महीने को आनी के नाम से जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ज्येष्ठ सूर्य के वृष राशि में प्रवेश के साथ शुरू होता है, और वैष्णव शास्त्र के अनुसार यह वर्ष का दूसरा महीना होता है। परंपरागत रूप से, ज्येष्ठ उच्च गर्मी से जुड़ा हुआ है, और ग्रेगोरियन कैलेंडर में मई-जून से मेल खाता है। इस महीने में सूर्य देवका प्रकोप बढ़ जाता है, चीजों का दान करने से सूर्य देव प्रसन्‍न होकर शुभ फल देते हैं। ज्योष्ठ माह की विशेषता
ज्ज्‍येष्‍ठ महीने में रविवार का व्रत रखने का बहुत महत्‍व है, ऐसा करने से सूर्य देव की विशेष कृपा होती है। उनकी कृपा जीवन में अपार तरक्‍की, अच्‍छी सेहत, खूब मान-सम्‍मान और आत्‍मविश्‍वास देती है। इसके अलावा भी इस महीनों को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना चाहिए। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है और खूब पुण्‍य मिलता है।

❀ ज्‍येष्‍ठ महीने में जल का दान करने का बहुत महत्‍व है। इस महीने में तेज धूप पड़ती है, साथ ही जमीन में जल स्‍तर नीचे गिर जाता है। लिहाजा इंसानों, पशु-पक्षियों के लिए पीने के पानी का इंतजाम करें। साथ ही पेड़-पौधों को पानी दें। इससे सूर्य देव और वरुण देव प्रसन्‍न होते हैं।

❀ इस महीने में पानी से भरे घड़ों का दान करना बहुत पुण्‍यदायी माना गया है। संभव हो तो प्‍याऊ खुलवाएं या जहां प्‍याऊ हो वहां मटके दान करें।

ज्योष्ठ माह शुक्रवार, 24 मई से आरम्भ हो रहा है और 22 जून 2024 को समाप्त हो रहा है

ज्योष्ठ माह 2024 व्रत और पर्वों की सूची
24 मई शुक्रवार, 2024 – नारद जयंती, इष्टि
26 मई रविवार, 2024 – एकदन्त संकष्टी चतुर्थी
02 जून रविवार, 2024 – अपरा एकादशी
03 जून सोमवार, 2024 – वैष्णव अपरा एकादशी
04 जून मंगलवार, 2024 – प्रदोष व्रत
06 जून बृहस्पतिवार, 2024 – वट सावित्री व्रत, शनि जयंती, दर्श अमावस्या, अन्वाधान, ज्येष्ठ अमावस्या
07 जून शुक्रवार, 2024 – इष्टि, चन्द्र दर्शन
15 जून शनिवार, 2024 – मिथुन संक्रान्ति
16 जून रविवार, 2024 – गंगा दशहरा
17 जून सोमवार, 2024 – गायत्री जयंती
18 जून मंगलवार, 2024 – निर्जला एकादशी
19 जून बुधवार, 2024 – प्रदोष व्रत
21 जून शुक्रवार, 2024 – वट पूर्णिमा व्रत, अन्वाधान
22 जून शनिवार, 2024 – ज्येष्ठ पूर्णिमा, इष्टि

मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
श्री हरि स्तोत्रम्
विष्णु सहस्र नाम