जीवन का लक्ष्य

जो लोग सेवा भाव रखते हैं और स्वार्थ सिद्धि को जीवन का लक्ष्य नहीं बनाते, उनके परिवार को आड़ देने वालों की कमी नहीं रहती।
-प्रेमचंद

स्पर्धा ही जीवन है। उसमें पीछे रहना जीवन की प्रगति को रोकना है।
-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

जब मनुष्य का युद्ध अपने साथ आरंभ होता है तब उसका कुछ मूल्य होता है।
-ब्राउनिंग

ऐश्वर्य उपाधि में नहीं बल्कि इस चेतना में है कि हम उसके योग्य हैं।
-अरस्तू

कृतज्ञता एक कर्तव्य है जिसे लौटाना चाहिए, किंतु जिसे पाने का किसी को कोई अधिकार नहीं है।
-रूसो