जिनके अंदर कुछ दर्द है

सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है, पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है।
-चाणक्य

मनुष्य बूढ़ा हो जाता है, परंतु लोभ बूढ़ा नहीं होता।
-सुदर्शन

लिखते तो वे लोग हैं जिनके अंदर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है। जिन्होंने धन और भोग-विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया है, वह क्या लिखेंगे।
-प्रेमचंद